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१२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
अवरों वि को वि जो जासु मल्लु समरङ्गणे जेण समाणु जासु भीसावणु रावणु राउ जेत्थु ' 'भो सयल-भुवण- एकल-मल जम-धणय- पुरन्दर - मइयवट्ट दुद्दम-दणुवइ - णिद्दलण-सील
थिरे थोर-हत्थि - णिडुर-पवट्ठ
दिवें दिवे किये - तइलोकॅक्क-सेव
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विज्जाहर - सामिय चन्दङ्किय-णीमहुँ
तं णिसुर्णेवि हसिउ दसाणणेण 15 के लक्खणु केण पमाणु सारु जो ण खलिउ देवेंहिँ दाणवेहिँ जइ होइ सन्धि गरुडोरगहुँ जइ होई सन्धि हुअवह-पैंया हुँ जइ होइ सन्धि ससि कॅञ्जयाहुँ 20 जइ होइ सन्धि खर- कुञ्जराहुँ जइ होइ सन्धि संवरि - दिणा हुँ
ललियक्खर - अंत्थहुँ जइ सन्धि पहावइ
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[१०]
जो जसु उप्पर उबहई सलु ॥ १ सन्देस पेसिउ तेण तासु ॥ २ गउं अङ्गउ दूउ पइट्टु-तेत्थु ॥ ३ हरि-हर - चउराणण-हियय-सल्ल ॥ ४ णिल्लोट्टाविय - दुग्घोट्ट थट्टा ॥ ५ तियसिन्द-विन्द पक्कन्द-लील ॥ ६ कइलास- कोडि-कन्दर - हिट्ठ ॥ ७ सन्धाणु पयतें करहि देव ॥ ८
॥ घत्ता ॥
अम्वर गामिय
लक्खण-रामहुँ
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[ क० १०, १–९, ११, १–९
• वन्दिण-विन्द - रिन्द-धुअ । धुर्ड अप्पिज्जउ जर्णय- सुअ' ॥ ९
[११]
'किं वुझिय सन्धि समासु केण ॥ १ किं वलु किं साहशु दुण्णिवारु ॥ २ तों व गणु किर माणवेहिं ॥ ३ सुर-कुलिस-णिहाय-महाणैगाँहुँ ॥ ४ पञ्चाणण-मत्त महागयाहुँ ॥ ५ दिणयर- करोह-चन्दुज्जयाहुँ ॥ ६ खयकाल-पहञ्जण-जलहरीहुँ ॥ ७ जइ होइ सन्धि वम्मह - जिणा हुँ । ८
॥ घत्ता ॥
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अण्ड (१) र्णव- पणस -रायणहुँ ।
दूर-रत्थहुँ को वि घडावर तो रणे राहव-रावणहुँ' ॥ ९
10. 1 Ps जो जसु करण परिवहह. 2 A सव्वछु. 3 A समरंगणु. 4 Ps ° दुग्धट्ट. 5 A दि. 6 P°हत्थ's ° हत्थु. 7 A कय 8PS 'णामहु, A नामहु. 9PS लहु. 10 A घणय ..
11. 1 Ps वुज्झिउ. 2PSA °रगाहु. 3 PSA जगाहु. 4 A होदि. 5 Ps ° कुंजराहु, A कुंजरा. 6 PS राहु, A हराहं 7PS 'जिणाहु, A जिणाहं. 8Ps अण्णउ, A क्षणउं. 9PS दुव्वणसरासणहुं (s हु ). 10 A यडावइ 11 P ° रामण, S रावणहु, & 'रावणहं.
[११] १ लक्ष्मणः (?). २ वज्रः ३ पर्वतानाम् ४ अपाम्. ५ कमलानाम् . ६ गुद-हूलानाम् (?). ७ वायुः. ८ मेघानाम्. ९ रात्रेः १० गृहीतानां यथा ऊंकारा मुनी साधू (?).
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