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क. ४,-९,५,१-९]
जुज्झकण्ड-अट्ठवण्णासमो संधि [९
[४] समरङ्गणे एक्के लक्खणेण सन्देसउ पेसिउ तक्खणेण ॥ १ .. 'भणु "जहिँ जे जहिँ में तुहुँ कुमुअ-सण्डु तहिँ तहिँ सो दिणयरु तेय-पिण्डु ॥२ जहिँ जहिं तुहुँ गिरिवर सिहर-खण्डु तहिँ तहिँ सो वासव-कुलिस-दण्डु ॥ ३ जहिँ जहिँ आसीविसु 'वि सफणिन्दु तहिँ तहिँ सो भीसणुं वर-खगिन्दु ॥ ४ ॥ जहिँ जहिं तुहुँ गलगज़िय-गइन्दु तहिँ तहिँ सो वहु-माया-मइन्दु ॥ ५ जहिँ तुहुँ हवि तहिँ जैलणिहि-णिहाउ जहिँ तुहुँ घेणु तहिँ सो पलय-वाउ ॥६ जहिँ तुहुँ उन्भडु तैहिँ सो विर्णासु जहिँ तुहुँ -सहु तहिँ सो समासु ॥७ जहिँ तुहुँ णिसि तहिँ सो पवर-दिवसु जहिँ तुहुँ तुरङ्गु तहिँ सो वि महिसु ॥८
॥ घत्ता ।। जलें थलें पायालेंहिँ विसम-ख़यालेहिँ तुहुँ जर-पायवु जहिँ जे जहिँ । लग्गेसइ पित्त झत्ति पलित्तउ लक्क्षण-हुअवहु तहिँ जें तहि ॥९
एत्थन्तर रण-भर-भी'सणेण सन्देसउ दिण्णु विहीसणेण ॥ १ 'भणु “रावण जाइँ कियइँ छलाई दरिसावमि ताइँ महाफैलाइँ ॥२ 1s 'जे हत्थे कड्डिउ चन्दहासु जे हत्थें वइरिहिं 'किउ विणासु ॥ ३ जे हत्थे पंणहुँ दिण्णु दाणु जें हत्थें धणयहाँ मलिउ माणु ॥ ४ जे हत्थे साहुक्कारु लडु जे हत्थे सुरवइ समर वधु ॥५ जे हत्थे सइँ समलडु अङ्गु जे हत्थें वरुणहों कियउ भड् ॥ ६ जे हत्थे कड्डिय राम-घरिणि पञ्चाणणेण वणे जेम हरिणि ॥७ ॥ तहाँ हत्थों आइउ पलय-कालु म. उप्पाडेवउ जिह मुणालु" ॥ ८
॥घत्ता ॥ अण्णु वि संविसेसर कहि सन्देसउ “पइँ पेसेंवि जम-सासणहों। राहव-संसग्गी पुरि आंवणी होसइ परऍ 'विहीसणहों"'॥९
4. 1 PS सिंग. 2 A तुहुँ. 3 A omits the portion from भीसणु to तुहुँ (sixth line). 4 P S जहि जहि तुहु. 5 P S जहि. 6 PS जहि तुहु. 7 विसाणु. 8 P S जलथल. 9PS लक्खणु.
5. 14 भयभीसावणेण. 2 P छलई, s छलइ. 3 P महष्फलई, 8 महप्फलइ. 4 A repeats lines 3 and 4. 5 PS किम(sय)उ णासु. 6P S जेव करिणि. 7 PS संदेसउ. 8 PS कहमि विसेसउ. 9 P S पेसमि. 10 P कल्ले, S कलि.
[४] १ वज्रम्. २ अग्निः. ३ समुद्र-संघातः. ४ मेघः. ५ धवश्च पलाशश्च तेषु स्थानेषु च शब्दस्तस्य समासे विनाशो त्यथा धवखदिरपलाशा इति. [५] १ याचकानाम्. २ वाधीना समस्ता वा रामस्य कल्ले भविष्यति. ३ विभीषणस्यैतत् संदेशकम्.
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