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हि तासु
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अणु मि सन्देस वुच्चइ " लङ्केसेर चारु चारु जइ सच्च रयणासवों पुत्तु हउँ लग्गर कुठें लक्खणहों जाम एत्तिय वि तो वित थड वुद्धि तं णिसुर्णेवि भड - कडमद्दणेण 'दांढियउ जासु जसु वाहु-दण्ड सो दीण वयणु पहु चवई केव
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८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
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आऍहिँ आला वायर सुणन्तहुँ
जं सन्धि ण इच्छिय दुद्धरेण हरि-यहिँ अमरिस-कुद्ध एण 'भणु " दहमुह - गवरें गिल्ले - गण्डे हत्थ - हत्थ - दारुण-विसाण णीवडेसइ तहिँ वलएव-सीहु कुन्देन्दु- कण्ण-सोमित्ति-वयणु 20 णल-णीलवियड - दाढा - करालु अङ्गङ्गय-तार-सुसेण णहरु
सो व केसरि लीलऍ जें दलेसइ
[२]
वहु-दुण्णय-वम्तहाँ रावणासु ॥ १ को पर-तिय लेन्तों पुरिसयारु ॥ २ तो उ काइँ वैवहरेंवि जुत्तु ॥ ३ पइँ छम्मेंवि णियं वइदेहि ताम ॥ ४ अहिमाणु मुएप्पिप्पु करहि सन्धि" ॥ ५ भिच्छिउ रामु जणद्दणेण ॥ ६ जसु वलें एत्तिय णरवर पयण्ड ॥ ७ एकलेउ करें सन्धाणु देव ॥ ८
॥ घत्ता ॥
गलिय-पया हिँ सन्धि करतहुँ
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॥ घत्ता ॥
णिवर्डेवि उप्परि कवि लेसइ
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[ क० २, १–९, ३, १-९
[३]
तं वज्जावत्त- धणुद्धरेण ॥ १ सन्देस दिष्णु विरुद्धएण ॥ २ किय-कुम्भर्येण्ण- उद्दण्ड- सोण्डें ॥ ३ सुयसारण- घण्टा - रुण्टमाणें ॥ ४ हणुवन्त-महन्त - ललन्त-जीहु ॥ ५ विष्कारिय- गवय - गवक्ख-णयणु ॥ ६ जम्वव-भामण्डल - केसरालु ॥ ७ साहण-णङ्गूलुग्गिण्ण-पहरु ॥ ८
[२] १ नीतः ( ता ). २ उदन्ता [दि] - निपातो यथा.
[३] १ रामेण २ मन्त्रीनामेदम्.
तुम्ह वाहिर हि । ऊदन्ताइ - णिवाउ जिह ॥ ९
2. 1 Ps लंकेसर, 2s लिंतहो, 4 लिंतहं. 3 Ps पई (s इ) किउ अजुत्तु. 4 Ps था. 5 P s दिड्ढ (s °दु) हिअ ( sय ) उ जासु दिदु ( S°ढ ) वाहुदंड. 6 Ps पचंड. 7s केव, A केम. 8PS एक्केल. 9PS उदाए. 10 F णिवाउं.
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31 P वज्जावत्तु, s वज्जावन्तु. 2Ps गिल्लि 3Ps कुभयण्णु. 4 Ps °सुंडे. 5Ps 'दारुणे. 6 Ps सुसारणि. 7PS लगिण्णपयरु. 8 A स्थलहु .
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णिसियर - करि-कुम्भत्थइँ । जाणइ - जम-मुत्ता हलइँ” ॥ ९
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