________________
क० ८, १–९, ९, १ - ९ ]
नरवइ धरिउ 'कडच्छऍ मस्तिहिं विहिँ भाइहिँ अंकों तणयहों तो वि ण थक्क अमरिस- कुद्धउ 'अरे खल खुद्द पिसुण अंकलङ्कहें भइ विहीणु 'जंग- अहिरामहों वरि णरिन्द मूढ अंवियप्पड एम भणेपिणु गंउ णिय-भवणहों तीसक्खोणीहिँ हरि- सेण्णहों
सह विहीणीसरिङ जसु मुहु मइलेंवि रावणहाँ
'हंस दीव-तीरोवर-त्थयं
सुहs सुहड - संखोह - भासुरं णिऍवि सेण्णु रवि-मण्डल -ग्गए दुणिवार व सणे ताव तेण वहु- पुण्णभाइणा दण्डपाणि पट्टविर महवलो पण विऊण विष्णविउ राहवो एक्कु वयणु पभणइ "विहीसणो
जुज्झकण्डं - सत्तवण्णासमो संधि [५
#ण किउ णिवारिउ रावर्णेण परम-जिणिन्दहों इन्दु जिह
[4]
३
" करें अवराहु भडारा 'मं तिहिँ | १ जो 'जीवियों सारु तर तणयहाँ ' ॥ २ जो चउ - जलहि-विहूसिय-कु-द्धउ मरु मरु णीसरु णीसंरु लंङ्कहें' ॥ ४ जइ अच्छमि तो दोहउ रामहों ॥ ५ जिह कहि तिह रक्खहि अप्पर' ॥ ६ णाइँ गइन्दु रम्भ-खम्भ-वणहो ॥ ७ णिग्गड णिद्दलन्तु हरिसें हो ॥ ८
•
॥ घत्ता ॥
सुहि सामन्त-मन्ति परियार [य] उ । रामहों संमुंहु णाइँ सिरियउ ॥ ९ [९]
Jain Education International
वर-तुरङ्ग-वर-करि-वंरत्थयं ॥ १ पडह - भेरि-संखोह -भासुरं ॥ २ देइ दिट्ठि हरि मण्डलग्गऍ ॥ ३ राहवो वि सं -सरे सँरासणें ॥ ४ स- विणण दहवयण - भाइणा जहिँ स-कण्डु पडिवक्ख-ह-वलो ॥ ६ जो "विर्मुक्क-सर- णिडुराहवो ॥ ७ 'तुम्ह भिक्षु एवहिँ विहीसणो ॥ ८
५
॥ घत्ता ॥
लज्ज विमाणु वि मणें परिचत्त । तेम विहीसणु तुम्हाँ भत्तउ' ॥ ९
8. 1 4 खमि. 2 A. अण्णेक्कु वि तणयहुं. 8Ps अकलंकहो. 4 Ps लंकहो. 5 Ps जाणहि. 6 PSA हरिसे हो. 7 PSA ° परियरिउ 8Ps रामणहो. 9s समुहु, A समुहुं.
9. 1P सिरासणे, S सरासणो. 2 P समरे, s गहियं. 3s सरासणो. 4 P महव्वलो s महावलो. 5 Ps महचलो. 6 A विमुक्छु. 7 A भविउ.
[८]
मात्र प्राणानामपराधं कुरु. २ त्वदीयस्य जीवित [स्य ] यः सारः ३ कुस्थित ध्वजा यस्य. ४ लंकायाः ५ विकल्प - रहितं यथा भवति. ६ कदलीस्तम्भोपलक्षितवनस्य ७ लक्ष्मण कटकस्य. ८ हर्षेण 'हु' आकाशं निर्दलयन्.
[९] १ हंसद्वीपतीरस्योपरिस्थकं स्थितं सैन्यम्. २ उत्तम - रणकम् ३ सुभटा रथास्तैर्भीष्मम्. ४ आदित्यमण्डलगते. ५ लक्ष्मणः खङ्गाग्रे. ६ ( P. 's reading ) वैरिशिरः खण्डनः ७ धनु ( नुरु ) पलक्षितः ८ पुण्यभाजिना. ९ दूतः १० महान् बलो बलिभद्रः. ११ विमुक्ताः 'सराः' वाणाः निष्ठुरा मारणात्मका आहवे येन सः १२ विधेर्यमस्येव स्वनः शब्दो यस्य सः
For Private & Personal Use Only
5
10
15
20
www.jainelibrary.org