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क. १, १-१२, २, १-२]
वन्दइ-आसिय-कइरायपोमचरियस्स सेसे . तिहुअण-सयम्भु णवरं पउमरियस्स चूलामणिन्व
उत्तरकण्डं-अट्ठासीमो संधि [२६९ तणय-तिहुअण-सयम्भु-णिम्मविए सत्तासीमो इमो सग्गो॥ एक्को कइराय-चक्किणुप्पण्णो । सेसं कयं जेण ॥
[-८८. अट्ठासीमो संधि] तहिं अवसर सिरसा पणवन्तेहि वलु विण्णविउ सयल-सामन्तहिं । 'परमेसर उवसोह समारहों लच्छीहर-कुमारु संकारहों"॥ध्रुवकं॥
[१] पभणइ सीराउहु इय वयणेहिं 'डज्झहों तुम्हेंहिँ सहुँ णिय-सयणेहिँ ॥१ डन्झउ माय-वृप्यु तुम्हारउ होउ चिराउसु भाइ महारउ ॥ २ ॥ उहि जाहुँ लक्खण लहु तेत्तहें खल-वयणइँ सुव्वन्ति ण जेत्तहे' ॥३ एवं चवि चुम्वेवि आलावेवि वासुएउ णिय-खन्थें चडावेवि ॥४ गउ वलएउ अण्णु थाणन्तरु पर्छ तुरन्तु पवर-मजणहरु ॥५ 'भाइ विउज्झहि केत्तिउ सोवहि ण्हाण-वेल परिल्हसिय ण जोयहि' ॥६ पुणु पीढोवरि थवेवि 'णवम्हेंहिँ अहिसिञ्चइ वर-कञ्चण-कुम्भहिँ ॥ ७ ॥ पुणु भूसइ मणि-रयणाहरणेहिँ ससहर-तवण-तेय-अवहरणेहिं ॥८ पुणु वोल्लइ 'समाणु सूयारहों 'भोयण-विहि लहु करहों कुमारहो' ॥९ तेण वि वित्थारिउ हरि-परियलु देइ पिण्ड मुहें मणे मोहिउ वलु ॥१० ण वि अहिलसइण पेक्खइ लक्खणु जिण-वयणु व अ-भव्वु अ-वियक्खणु॥११ ॥घता ॥
20 तहों आयइँ अवर. वि करन्तहाँ णिय-खन्धे हरि-मडउ वहन्तहाँ। भाइ-विओय-जाय-अइ-खामहों. अद्धु वरिसु वोलीणउँ रामाँ ॥ १२
[२] तो ताव एउ वइयरु सुणेवि लच्छीहर-मरणउँ मणे मुणेवि ॥ १ खर-दूसण-रावण सम्भरेवि सम्वुक-वइरु णिय-मणे धरेवि ॥२ .
1. 1°P s °मं°. 2 P °हुं, S A "हु. 3 P S A हु. 4 P S होइ. 5 P S जाहु, A जाहं. 6 P S A°टु, 7 P°भवणु, 8 °वणु. 8 P°उं.
2. 1 P A उ.
[१] १. नवकलश (?). . २ सहितः. ३ स्वर्णल्याली.
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