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________________ २६०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १,१-९,२,३-३ कइरालस्स विजयसेसियस्स वित्थारिओ जसो भुवणे । तिहुयण-सयम्भुणा पोमचरिय-सेशेण णिस्सेसो॥ इय पोमचरिय-सेसे सयम्भुएवस्स कह वि उव्यरिए। तिहुयण-सयम्भु-रइए मारुइ-णिव्याण-पव्वमिणं ॥ वन्दइ-आसिय-तिहुयण-सयम्भु-परिरइय-रामचरियस्स । सेसम्मि जग-पसिद्धे छायासीमो इम्रो रहग्गो । [८७. सत्तासीमो संधि] वहु-दिवसेंहिँ ते लक्खण-सुअ वि दुद्धरु दूसहु तवु करेंवि । जिह हणुउ तेम धुय-कम्म-रय थिय सिव-सासऍ पइसरेंवि ॥ ध्रुवकम् ॥ [१] तो इय वत्त सुणेवि रिउ-मद्दे विहसेंवि वोल्लिज्जइ वलहदें ॥१ 'लहवि एय वर-भोय मणोहर हयवर गयवर रहवर णरवर ॥२ वहु-सीमन्तिणीउ सुहि-सयण' धण-कलहोय-धण्ण-मणि-रयण ॥३ ण वि माणन्ति कमल-सण्णिह-मुह णारायण-पवणञ्जय-तणुरुह ॥ ४ 15 मैहु ण मुणन्तहाँ भव-भय-लइया पेक्खु केव सयल वि पव्वइया ॥५ मंछुडु ते वाएं उट्ठद्धा अहवइ कहि मि "पिसाएं लद्धा ॥ ६ जिम वामोहिय जिम उम्माहिय कुसलु ण अस्थि 'वेज ण वि वाइय ॥ ७ तें कजें विहोय परिसेसवि गय तवेण अप्पाणउँ भूसॅवि' ॥ ८ ॥ घत्ता॥ धवलङ्गहों सिव-सुह-भायणहों जिणवर-वंस-समुन्भवहाँ। राहवहाँ वि जहिँ जड-मइ हवई तहिं अण्णहों ण वि होइ कहाँ ॥ ९ [२] अण्णहिँ दिणे सुरवरहँ वरिट्ठउ सहसणयणु णिय-सहऍ णिविट्ठउ ॥१ णं सुरगिरि सेस-इरि-सहायउ दिणयर-कोडि-तेय-सच्छायउ॥२ 25 वर-सीहासण-सिहरारुहियउ 'णव-तिय-अच्छर-कोडिहिँ सहियउ ॥३ Puspika : 1 PA °उ, s °उ. ___ 1. 1 P S A °सिवि, 2 PA महुं. 3 P A °ई, s यं. 4 P वाम्मोइय, वामोइय. .5 PS उमोइय. 6 A°ल. 7 विजि, A विज. 8 P S °उं. [१] १ सुवर्णः. २ नाऽनुभवतः. ३ वातेन गृहीता. ४ पिशाचेन. ५ मंत्रवादिनः. ६ विभूति. [२] १ अपरपर्वतैः सह. २ ' सप्तविंशति कोटयः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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