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क० ७, १–९; ८, १–९]
ताव दुण्णिवारारिमद्दणा. 'तिसयं- तीस-वीस - प्पमाणया मुवि वाल विक्कम - गुरुक्कया • सणियं दुअन्तेर्हि सेण्णयं फणि-उलं व अचंत-कूरयं समर - रस- दिढावद्ध-परियरं रह-विमाण - हय-गय-निरन्तरं जाव चलइ किर भीसणाउहं
ताव ते अहिं वितहिँ धरणियय-भायरेंहिँ सहुँ
उत्तरकण्डे - छायासीमो संधि [२५३
[७]
मर्णे विरुद्ध सोमित्ति - णन्दणा ॥ १ पलय-काल-रूवाणुमाणया ॥ २ सयल अवर वर पासें दुक्कया ॥ ३ घण - उलं व ह लें णिसण्णयं ॥ ४ दिण्ण-घोर-गम्भीर-तूरयं ॥ ५ पाउसम्वरं णं सधणुहरं ॥ ६ विविह- चिन्ध - छाइय- दियन्तरं ॥ ७ विहि मि राम- णन्दणहँ सम्मुहं ॥ ८
॥ घत्ता ॥
'अह अह भायरों म करहों कोहु जो 'जाय - दिनों लग्गेवि सणेहु आयहँ पर कष्णह कारणेण गुण-विय संयण-खम-णासणेण कलहन्ति ए वि पर जेव राय तुम्हेंहिं पुणु सयलइँ अइ समत्थ लज्जिज्जइ अण्णु वि राहवासु सुट्ट वि मय-मत्तउ मिलिय-भिनु
7. 1. A विसुद्ध 24 तियस° S° दि. 6 P°धरं, A यरं.
लच्छीहर-महएवी जाऍहिँ । णं तइलोक्क चक्कु ' दिसणाऍहिँ ॥ ९
[८]
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मं वड्डारहों' रहु-कुलें विरोहु ॥ १ सो वल-लक्खणहँ म खयहाँ हु ॥ २ अवरोपरु का महा-रणेण ॥ ३ तिहुअणें धिक्कार- पगासणेण ॥ ४ कु पुरिसवण्णाण - कला - अणाय ॥ ५ गुणवन्त वियाणिय- अत्थसत्थ ॥ ६. हि वयणु सिहुँ गम्पि तासु ॥ ७ किं णिय करु परिचप्पड़ मैयङ्गु' ॥ ८
॥ घत्ता ॥
इय पिय वयहि अवरेंहि मि' ते' उवसामिय माण-समुण्णय ।
णं वर-गुरु-मन्तक्खरै हिँ
किय गइ मुंह- णिवद्ध वहु पण्णय ॥ ९
3P सन्नियं, s सण्णियं 4Fs °यलं. 5 P° सदिढ,
4PS व. 5 Ps omit
8. 1°P SA°हु. 24 वर. 3 PS ° सयक्खविणासणेण. these 6P : निंमुह वहु, s° निम्मुह वहु .
[७] १.३५० तीनि सै चासु. २ शनिचंद्रौ द्वादशराशौ यप्पा ( था ? ) भवति (?). ३ r दिग्गजै:. [2] १ " य जन्मदिनप्रभृतिस्य ( ? ). २ (P's reading ) शतसंख्या ( ? ). २ T कलाविज्ञान - अनज्ञात (? अज्ञात ). ३ सुंडि. ४
हस्ती.
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