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पुणु ते अवलोऍवि वार- वार वहु-बन्दिण- वन्देहिँ थुव्वमाण णिसुर्णेवि गिज्जन्तइँ मङ्गलाइँ • पेक्खेष्पिणु सिय- सम्पय-विहोउ अप्पा परिणिन्दन्ति केव 'अम्हइँ तिखण्ड - महिवइहें पुत्त वहु-गुण वहु-साहण 'बहु-सहाय ण वि जाणहुँ हीण गुणेण केण
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२५४] सयम्भुकिङ पउमचरिउ
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अव काइँ विसूरिऍण जीवों मर्णेण समिच्छियउ
वरि तुरिङ गम्प तव चरणु लेहुँ 1. ऍउ चिन्तेंवि अवहत्थिय-भयासु विष्णविउ णवेष्पिणु 'णिसुणि ताय अम्हइँ संसार - महासमुद्दे दुग्गइ-गम-खारीपार-णीरें मिच्छत्त-गय- वायन्त- चाऍ बर- विविह-वाहि- कलोल -जुत्तें मय-माण-विडल - पायाल- विवरें मह-मोहुब्भड -चल- फेण- सोहे " परिभमिय सुंइरु अ-लहन्त-धम्मु
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raft एण कलेवरेंण
जिण - पावज्ज- तरण्डऍण
[९]
सहुँ कहिँ लवणडुस कुमार ॥ १ - दिस - जण - पोमाइज्जमाण ॥ २ तूरइँ गहिराइँ स- काहलाइँ ॥ ३ वर - आणवडिच्छउ सयलु लोउ ॥ ४ 'हरि - दंसणे सुर तव हीण जेव ॥ ५ लायण्ण-रूवं- जोच्वण-णित ॥ ६
सु-पयाव अतुल-भुय-वल-सहाय ॥ ७ एकहों विण घत्तिय माल जेण ॥ ८.
॥ घत्ता ॥
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[ क० ९, १९, १०, १-११
लब्भइ सयलु वि चिरु कय- पुण्णेंहिँ । किं संपss किऍहिँ 'सुण्णेहिं ॥ ९ [१०]
जें सिद्धि-वहुअ - करयल धरेहुँ' ॥ १ पुणु गय वलेवि लक्खणहों पासु ॥ २ 'पज्जत विसय- सुहेहिँ राय ॥ ३ दुट्ठट्ठ-कम्म- जलयर- रउद्दे ॥ ४ भय-काम-कोह- इन्दिय - गहीरें ॥ ५ जर मरण-जाइ-वेला - णिहाऍ ॥ ६ "परिभ्रमणाणन्तावत्तइत्तें ॥ ७ अलियागम' -सयल - कुदीव-पियरें ॥ ८ सुविओय-सोय- वडवाणलोहें ॥ ९. कह कह विलहु पुणु मणुअ - जम्मु ॥ १०
॥ घत्ता ॥
कहिँ वित्थि जम- डामरु ।
जाहुँ" देसु जहिँ जणु अजरामरु' ॥ ११
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3P किं एहिं, S किं एह.
9. 1PS 'च्छिउ. 2 PA°3. 10. 1P जिं, s जिह, 2 Ps°ल. 3 p. 4 P अहियागमे, s अहियागये. 5Ps 'भड. 6 P S°. 7 P कहे, SA कहि. 8 s णाहि जर 9P8A.
[९] १ इंद्रदर्शने अल्पतपोधनेनोत्पन्नसुर इव. दुर्जनैः (?).
[१०] १ पूर्यताम् २ T अपर्यंर्तजले. ३ मिध्यात्ववादैः.
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३ पैशुन्यताभिः
४ आवागमणं, ५ दीर्घकालम् -
२ बहुभ्रातरः बहुभृत्याश्च.
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