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२५२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०५,३-८,६,१-११ गुण-गण-पडिहत्थिउ वर-वण-लच्छिउ णं संचल्लियउ॥३ थिय चउहु मि पासहिँ मञ्च-सहासहिँ वर जोयन्तियउ। मोहण-लय-मायउ एक्कहिँ आयउ णं मोहन्तियउ ॥४
णं सुकइ-णिवद्धउ कहउ रसडउ मणे पइसन्तियउ। 5 सोहग्ग-विसेसें तें ववएसें
णं णासन्तियउ ॥५ अइ-विसम-विसाढउ विसहर-दाढउ णं मारन्तियउ। णं रणे दुकन्तिउ मग्गण-पन्तिउ. . विरहु करन्तियउ॥६ णं गिम्भे फुरन्तिउ दिणयर-दित्तिउ सन्तावन्तियउ। णं आउह-धारउ दिण्ण-पहारउ मुच्छावन्तियउ ॥७
॥ घत्ता ॥ अग्गएँ करिणि-समारुहिय धाई सयल दरिसावइ णरवर। . णावइ चारु वसन्त-सिरि विहिँ फुल्लन्धुअ-पन्तिहिँ तरुवर ।।८
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जोयवि भू-गोयर चत्त केव खम-दऍहिँ कुगइ-गइ-मग्गु जेव ॥ १ 15 पुण मेल्लिय विज्जाहर-णरिन्द णं गङ्गा-जउणेहिँ वह-गिरिन्द ॥२
अवरे वि परिहरेंवि गयाउ तेत्थु ते सीया-णन्दण वे वि जेत्थु ॥३ जहिँ छत्त-सण्ड-मण्डवु महन्तु सुर-मणि-कर-णियरन्धार-वन्तु ॥ ४ रविकन्त-पहुज्जोइय-दियन्तु अवरहि मि मणिहिँ मह-सोह दिन्तु ॥५ पेडेंवि लवणङ्कस 'तुरिउ सव्वु गउ परिगलेवि चिरु रूव-गव्वु ॥ ६ 20 जेट्टोवरि पुणु मन्दाइणीऍ परिचित्त माल गय-गामिणीऍ ॥ ७
अङ्कुसहाँ चन्दभायाएँ तेव परिओसिय णहयले सयल देव ॥ ८ किउ कलयलु तूर. आहयाइँ विच्छायइँ जायइँ वर-सयाइँ ॥९ णं णिहि-चुक्कइँ वाइय-कुलाइ चिन्तन्ति गमण-हिययाउलाई ॥१०
॥ घत्ता ॥ . 25 'किं विणिभिन्दहुँ महि गयणु किं सायर 'गिरि-विवर पैईसहुँ ।
धीसोहग्ग-भग्ग-रहिय जाहुँ तेत्थु जहिँ जणेण ण दीसहुँ' ॥११ 7 Ps °धण'. 8 PS धाइय.
6. 1 P °दमएहिं, 5 °दमइहि. 2 Ps भाए वि तेव. 3 P S परिज, A परिउ'. 4 P वरे, °वरि. 5 P S A पइ. 6A णी. ४ वचनेन (?). ५ भ्रमराः,
[६] १ समूह. २ ' सुरवइमणि=इन्द्रनीलमणिः. ३ शीघ्रम्. ४ निधानोत्पाटनधातुवादविवरप्रवेशकारिणः.
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