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________________ 5 २४४ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 'भो भो गुण-उवहि अम्हेंहिँ' ऍउ चरिङ 20 www 'परमेसर सधर-धरित्ति- पाल सुपयाम-गाम-पट्टण - णिउत्त माणिय पवर - पीवर - थणाउ " अच्छिउ विउलेंहिँ जण - मणहरे हिँ आरूढु तुरय-गय-रहवरेहिं देव त्इँ परिहियाइँ णिरुवम - णच्चियइँ पलोइयाइँ अर्जुहुत्तु सयलु इहलोय-सोक्खु 15 मे पुत्तु विवाइड देवि जुज्झु एवहिं दासरहि मुक-परिग्गहर [ ४ ] ॥ हेला ॥ तो एत्थन्तरे तिलोयग्ग- पत्त-णामो । वृत्त कियन्तवत्तेणं' सरसैण राम ॥ १ || हेला ॥ लब्भइ जग असेसु दुलहु णवर एक्कु 2 तें जें लहु हत्थुत्थलहि इय-यहिँ जण जणियाणन्दे 'वच्छ वच्छ पावज लएप्पिणु " किह चरियऍ पर-हरेंहिं' भमेसहि 25 कि दूसह परिसह वि सहे सहि 3. 1P SA हि. 4. 1Ps. 5. 1Ps रिंद . [४] १ मम पुत्रो मृतः Jain Education International ॥ घत्ता ॥ [क० ३,१०, ४, १-११५, १०६ पइँ होन्तें विषय- सहावें । आणि मुणिहिँ पसाएं' ॥ १० मइँ तुज्झु पसाएं सामिसाल ॥ २ रयणायर देस अणेय भुत्त ॥ ३ सुरवहु - रूवोहामिय-धणाउ ॥ ४ गिव्वाण -विमाणेंहिँ वर - घरेहिँ ॥ ५ की लिउ वण- सरि-सर-लयहरेहिँ ॥ ६ इच्छऍ अङ्गाइँ पसाहियाइँ ॥ ७ बहु-भय-गेय- वज्जइँ सुआइँ ॥ ८ जम्महों विणलक्खि कहि मि दुक्खु ॥ ९ णिय - सत्तिएँ पेसणु कियउ तुज्झ ॥ १० ॥ घत्ता ॥ उवढुक्कइ जाव ण मरणउँ । वर ताम लेमि तव चरणउ ॥ ११ [५] किय- णरवरिन्दे - सेव । पावज्ज- रयणु देव ॥ १ मइँ परलोय - कङ्क्ष' मोक्कलहि' ॥ २ तु कितवतु वद्दे ॥ ३ सव्व-सङ्ग परिचाउ करेष्पिणु ॥ ४ पाणि-पत्ते भोयणु भुञ्जेसहि ॥ ५ अङ्ग महा-मल-पडलु धरे सहि ॥ ६ 2PS इच्छिय. 3 P णचणइ, S णञ्चयइ. 4 Ps अण. 5 °उं. 2PA हिं. 3 Psg. 4 P राहें, s°रह. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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