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________________ ०.२,१-११%,३,१-९] उत्तरकण्ड-पंचासीमो संधि [२४३ [२] ॥ हेला ॥ रइवद्धण-णरिन्दहो पर-परायणासु । ससि-णिम्मल-जसासु सिव-सोक्ख-भायणासु ॥१ जाय वे वि जिणवर-पय-सेविहें णन्दण सुअरिसणा-महएविहें ॥ २ तहिँ पहिलारउ णामु पियङ्कर तणु तणुअउ पुणु अणुउ हियङ्करु ॥ ३ । सोहइ दित्तिएँ णाइँ दिणेसर.... _णाइँ भरह-पहु-वाहुवलीसर ॥४ वहु-कालें तव-चरणु लएप्पिणु सेण्णासेण सरीरु मुएप्पिणु ॥५ हुव गेवज-णिवासिय सुरवर स-मउड दिव्व-कडय-कुण्डल-धर ॥ ६ . दुइ-रयणी-सरीर-उध्वहिया अणिमाइहिँ गुणेहिँ सइँ 'सहिया ॥७ सूरप्पहें विमाणे वित्थिण्णएँ णाणाविह-मणि-गणहिँ रवण्णएँ ॥८ ॥ तहिँ इच्छियइँ सुहइँ माणेप्पिणु सायराइँ चउवीस गमेप्पिणु ॥९ चवेंवि जाय पुणुं अरि-करि-अङ्कुस सीयहें णन्दण इह लवणङ्कुस' ।। १० ॥ घत्ता ॥ तं तेहउ वयणु णिसुणेप्पिणु परम- मुणिन्दहों। हुउ विम्भउ गरुउ विजाहर-सुरवर-विन्दहाँ ॥ ११ [३] ॥ हेला ॥ आणेवि पुन्व-वइर-सम्वन्धु विहि मि ताहूँ। ... सीयहें कारणेण सोमित्ति-रावणाहँ ॥ १ अण्णु वि वहु-दुक्ख-णिरन्तराई अ-पमाणइँ सुर्णेवि भवन्तराई ॥ २ दहमुह-भायर-जाणइ-वलाहँ सुग्गीव-वालि-भामण्डलाह ॥३ ॥ के वि आसकिय गय भयों के वि के वि थिय णिय-मणे मच्छरु मुएवि॥४ . के वि थिय चिन्ता-सायरें 'विसेवि के वि हुव मह-दुक्ख 'विउद्ध के वि ॥५ के वि सयलु परिग्गहु परिहरेवि • अत्थक्कऍ-थिय पावज लेवि ॥ ६ अण्णेक के वि थिय वउ धरेवि सम्मत्त-महब्भरे खन्धु देवि ॥ ७ भूगोयर-खयर-सुरासुरेहिँ सयलेहि मि मुणिहिँ णामिय-सिरेहिँ ॥८ 23 णीसेस-जीव-भम्भीसणासु . किउ साहुक्कारु विहीसणासु ॥ ९ 2. 1 A जिय. 2 PS उच्चाहिय. 3 A omits. 4 P S साहिय. 5 P इय corrected as इह; A इय. 6 PS गुरु... [२] १ शत्रुभिः अजेयस्य. २ सुदर्शनादेव्याः. • [३] १ सीता रामः तयोर्भवानि. २ प्रविश्य. ३ विक्रेध्य (?). ४ वेगेन. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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