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________________ २३८] सयम्मुकिउ पउमचरिउ [क० १९, १-९,२०, १-6 [१९] इय णियाण-दूसिय-तव-चिणउ परम-समाहिएँ मरणु पवण्णउँ ॥ १ सग्गे सणकुमार उप्पजेंवि तहिँ सायरइँ सत्त सुहु भुजेवि ॥२ चवेंवि जाउ सुउ जय-सिरि-माणणु कइकसि-रयणासवहुँ दसाणणु ॥ ३ 5 "णिय-जस-भूसण-भूसिय-तिहुअणु कम्पाविय-विसहर-णर-सुरयणु ॥४ तोयदवाहण-वंसुद्धारणु सहरणयण विणिवन्धण-कारणु ॥ ५ जो सम्भू 'सिरिभूइ-विवाइउ पुणु सोहम्न-सग्गु सम्पाइउ ॥ ६ . चर्वेवि परिहापुरें उप्पजेवि खयरु पुणव्वसु तवु आवजेवि ॥ ७ ... तइयां तियसावासु चडेप्पिणु सत्त समुद्दोवमइँ गमेप्पिणु ॥ ८. ॥घत्ता ॥ सो जायउ गम्भे सुमित्तिहें दससन्दणं-णरवइहें सुउ । एउ लक्खणु लक्खणवन्तउ. चकाहिवु राहव-अणुउ ॥ ९ [२०] जो गुणवइहें आसि गुणवन्तउ भायरु लहुउ पगुण-गुण-वन्तउ ॥१ ॥ भवें परिभमेवि चारु-मुह-मण्डलु सो उप्पण्णु एहु भामण्डलु ॥२ जो जण्णवलि आसि गुण- भूसणु सो तुहुँ ऍहु संजाउ विहीसणु ॥३. तें सयले वि रामहों अणुरत्ता पुन्व- भवन्तर - णेह -णिउत्ता ॥४। जी चिरु हुन्ती गुणवइ वणि-सुय भवें परिभवि कमेण दियहरे हुय । ५ सिरिभूइहें सुअ रूव-रवण्णी जा चिरु' वम्भ-कप्पें उप्पण्णी ॥ ६ ॥ तहिँ तेरह पल्लई णिवसेप्पिणु धुणं - पुछे थिएँ सेसे चवेप्पिणुं ॥७ "ऍह सा जाय सीय जणयहाँ सुय णिरु महुरालाविणि णं परहुय ॥ ८ 19. 1 A दूणियाण. 2 P °चिन्नउ, A विसउ. 3 P A °उं. 4 PS A °रि. 5A omits lines 4 and 5. 6 PS पइ°. 20. 1 P S 'लु. 2 A omits this line. 3 Ps °वि. 4 Ps °मि. 5 Ps "रि. 6 A °पवण्णी. 7 P s सुरु. 8 P S तहिं (s हि) सुरसुह अमाण (s यमाणु) भुंजेप्पिणु. 9A पुणु भुजे. 10 P SA थियसेसि. 11 For the passage एह सा (line 7 ) to पत्ती ( line 9 ) Ps read as follows (orthographic variants of s are ignored): [१९] १ प्रो( ? पुरो )हित. २ सनत्कुमारवर्गे. २0१ वेदवती ब्राह्मणपुत्री. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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