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२३६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०१५, १-11,१६,१-९
[१५] चिर-तव - चरण - पहावें आयहों विक्कम - रूव-विहूई:सहायहों ॥१ इय-भुवण - त्तऍ को उवमिज्जइ जासु सहस-णयणु वि णउ पुजइ ॥२
जो चिरु वसहमहद्धउ होन्तउ जो ईसाणे सुरत्तणु पत्तउ ॥ ३ । दुइ सायरइँ वसेप्पिणु आयउ काले सो ताररावइ जायउ ॥ ४
सुउ सूररयहाँ खेयर-णेसर गिरि-किकिन्ध-णयर -परमेसरु ।। ५ ऍहु सुग्गीवु जगत्तय-पायडु वालि-काटुंउ वाणर-धयवडु ॥ ६ सिरिकन्तु विगुरु-दुक्ख-णिवासहिँ परिभमन्तु बहु-जोणि - सहासहिं ॥७
णयरें मुणालकुण्डे रिउ-मद्दहों . हेमवइहें वइकण्ठ - णरिन्दहों ॥ ८ " जाउ सम्भु-णामें वर-णन्दणु सुरहँ मि दुजउ णयणाणन्दणु ॥९ वसुदत्तु वि जम्मन्तर - लखेहि उप्पजन्तु कमेण असङ्केहि ॥ १०
॥ घत्ता ॥ सिरिभूइ - णामु तेत्थु जे पुरे णिय-जस - भुवणुज्जालियों । हुउ सम्भुहें परम- पुरोहिउ सरसइ - णामें भज्ज तहों ॥ ११
[१६] गुणवइ वि अणेय-भवेहिँ आय पुणु करिणि अमरसरि-तीरें जाय ॥१ एक्कहिँ दिणे पङ्कप्पड़े खुत्त पाणाउल मउलीहूअ-णेत्त ॥२ पेक्खेंवि तरङ्गजव-खेयरेण णवकार पञ्च तहिँ दिण्ण तेण ॥ ३ पुणु सिरिभूइहें उप्पण्ण दुहिय वेयवइ णामु छण- यन्द - मुहिय ॥४ 20 णं का वि देवि पच्छण्ण आय सा मग्गिय सम्भु जणिय-राय ॥ ५ सिरिभूइ पजम्पिउ "कणय-वण्ण किह मिच्छादिट्ठि, देमि कण्ण" ॥ ६ तो तेण वि सुट्ट विरुद्धएण गिट्टविउ पुरोहिउ कुद्धएण ॥ ७ जिण-धम्में सुरवरु संग्गे जाउ जरढारुण-छवि सच्छाय-छाउ ॥८
॥ घत्ता ॥ तो वेयवइहें णरणाहण जे सयलुत्तम-मण्डणउँ । वलिमण्डऍ ण समिच्छन्तिहे किउ तहें सीलहों खण्डणउँ ॥९
15. 1 Ps णवि. 2 P S खयरणरेसरु. 3 P S A °हि, 4 P S रि. 5 g°ति. 62°म्मेण'.
16. 1 The portion from °यवइ to कण (6 a) is wanting in A. 21 छाय'. 3 A जे. 4 P A °उ.
[१६] १ गङ्गायाः, २ खं(?)भूना राज्ञा. ३ प्रथमवर्गे. ४ बालादित्य (?).
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