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________________ २२८] सयम्भुकिउ पउमचरिड [क० १९, १२,२०, १-१. ॥ घत्ता ॥ ओयरेवि महा-गय-खन्धहाँ पयहिण देवि स-गरवरण । कर मउलि करेंवि मुणि वन्दिउ णय-सिरेण सिरि-हलहरेण ॥ १२ [२०] 5 जिह तें तिह वन्दिउ साणन्देहिँ लक्खण-पमुह-असेस-णरिन्देहिँ ॥१ दिट्ट सीय तहिँ राहव-चन्दें णं तिहुअण-सिरि परम-जिणिन्दें ॥२ ससि-धवलम्वर-जुवलालकिय महि-णिविट्ठ छुडु छुडु दिक्खकिय ॥३ पुणु णिय-जस-भुवण-त्तय-धवलें सिर-सीहरोवारे-किय-कर-कमलें ॥४ पुच्छिउ वलेंण 'अणङ्ग-वियारा परम-धम्मु वजरहि भडारा' ॥५ ॥ तेण वि कहिउ सव्वु सडेवें भरहेसरहों जेव पुरएवें ॥६ तव-चरित्त-वय-दंसण-णाणइँ पञ्च वि गइउ जीव-गुणथाणइ ॥७ खम-दम-धम्माहम्म-पुराणइँ जग-जीवुच्छेआउँ-पमाणइँ॥ ८ समय-पल्ल-रयणायर-पुव्वई वन्ध-मोक्ख-लेसउँ वर-दव्वइँ ॥९ ॥ घत्ता ॥ 15 आयइँ अवरइँ वि असेसइँ कहियइँ मुणि-गण-सारऍण । परमागमें जिहै उद्दिट्टइँ आसि स य म्भु-भडारऍण ॥ १० इय पउमचरिय-सेसे सयम्भुएवस्स कह वि उव्वरिए । तिहुवण-सयम्भु-रईए समाणियं सीय-दीव-पव्वमिणं ॥१ वन्दइ-आसिय-तिहुअण-सयम्भु-कइ-कहिय-पोमचरियस्स । सेसे भुवण-पगासे तेआसीमो इमो सग्गो' ॥२ कइरायस्स विजय-सेसियस्स वित्थारिओ जसो भुवणे।। तिहुअण-सयम्भुणा पोमचरियसेसेण णिस्सेसो ॥३ [८४. चउरासीमो सन्धि] .... एत्थन्तर सयलविहूसणु पणवि वुत्तु विहीसणेण । 25 'कहें मुणिवर सीय महासइ किं कज्जे हिय रावणेण ॥ .. 20. 1 P परमाणं. 2 P 5 जीउच्छेउ. 3 P लेसाठ अणुव्वह. 4 P S जह, 5 वदें. 1. P 'रइय, s 'रई. 2 5 सं. ३ ' इति कृते रामचरिते वयंभु-महाकविर्देवलोकी बभूत. 1. 1 PS A °हि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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