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________________ २२६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०१५,९-१२,१६,१-८१७,१-१ तिह जम्वव-जम्ववि-इन्दाउह मन्दहत्य-ससिपह-तारामुह ॥९ तिह ससिवद्धण-सेय-समुद्द वि रइवद्धण-णन्दण-कुन्देद(?) वि ॥ १० लच्छिभुत्ति-कोलाहल-सरल वि णहुस-कियन्तंवत्त-चल-तरल वि ॥ ११ ॥ घत्ता ॥ . अवर वि एकेक्क-पहाणा उर-रोमञ्च-समुच्छलिय । अहिसेय-समऍ णं लच्छिहें सयल-दिसा-गइन्द मिलिय ॥ १२ [१६] . तो वोल्लिज्जइ राहव-चन्हें 'णिकारणे खल-पिरुणहँ छन्दें ॥१ जं अवियप्पें मइँ अवमाणिय ,अण्णु वि दुहु एवड्ड पराणिय ॥२ • तं परमेसरि महु मरुसेजहि एक्क-वार अवराहु खमेजहि ॥३. आउ जाहँ घर-वासु णिहालहि सयलु वि णिय-परियणु परिपालहि ॥४ पुप्फ-विमाणे चडहि सुर-सुन्दरें वन्दहि जिण-भक्गइँ गिरि-मन्दरें ॥५ उववण-णइउ महद्दह-सरवर खेत्तइँ कप्पदुम-कुलगिरिवरें ॥ ६ णन्दणवण-काणणइँ महायर जणवय-वेइ-दीव-रयणायर ॥ ७ ॥ घत्ता॥ मणे धरहि एउ महु वुत्तउ मच्छरु सयलु वि परिहरहि । सइ जिह सुरवइ-संसग्गिएँ 'णीसावण्णु रज्जु करहि' ॥ ८ [१७] तं णिसुर्णेवि परिचत्त-सणेहिएँ एव पजम्पिउ पुणु वइदेहिएँ ॥१ 20 'अहो राहव मं जाहि विसायहाँ ण वि तउ दोसु ण जण-सङ्घायहों ॥२ भव-भव-सऍहिँ विणासिय-धम्महाँ सव्वु दोसु ऍउ दुक्किय-कम्मों ॥३ को सक्कइ णासणहँ पुराइउ जं, अणुलग्गउ जीवहुँ आइउ ॥४ वल म. वहुविह-देस-णिउत्ती तुज्झु पसाएं वसुमइ भुत्ती ॥ ५ वहु-वारउ तम्बोलु समाणिउ इहलोइउ सुहु सयलु वि माणिउ ॥ ६ 28 वहु-वारउ पयडिय-वहु-भोग्गी पइँ सहुँ पुप्फ-विमाणे वलग्गी ॥७ वहु-वारउ भवणन्तरे हिण्डिउ अप्पर वहु-मण्डणेहिँ पमण्डिउ ॥८ एवहिँ तिह करेमि पुणु रहुवइ जिह णे होमि पडिवारी तियमइ ॥९ - 4 P S 'स्थि. 5 PS °उह. 6 4 °रे. 16. 1 P 575. 2 P omits this Pāda, 3 P 8 Oroflo. ' 17. 1 P S एमहि. [१६] १ समस्तम् . [१७] १ हे रामचन्द्र. २ पुनः सी न भवामि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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