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५०, ७-१०,११,१-१०,१५,१] उत्तरकण्डं-आसीमो संधि [२२५ डहें डहें जइ भत्तारों दोही डहें डहें जइ परलोय-विरोही॥७ डहें डहें सयल-भुवण-सम्तावणु जइ मइँ मणण वि इच्छिउ रावणु' ॥ ८ तं एवड्ड धीरु को पावइ सिहि सीयलउ होइ ण पहावइ ॥९
॥ घत्ता ॥ तहिँ अवसरे मणे परितुहउ कहइ पुरन्दरु सुर-यणहों। 'सिहि सङ्कइ डहेवि ण. सकइ पेक्खु पहाउ सइत्तणहाँ' ॥ १०
.. [१४] ताम तरुण-तामरसेंहिँ छण्णउ. सो जै जलणु सरवर उप्पण्णउ ॥ १ सारस-हंस-कोश्च-कारण्डेंहिँ गुमुगुमन्त-छप्पय-विच्छंड्डहिं ॥२ जलु अत्थक्कएँ कहि मि ण माइउ मञ्च-सयइँ रेल्लन्तु पधाइउ ॥ ३ णासइ सव्वु लोउ सहुँ रामें सलिलु पवडिउँ सीयहें णामें ॥४ अण्णु वि सहसवचु उप्पण्णाउ दियवऍ आसणु णं अवइण्णउ ॥ ५ तासु मझें मणि-कणय-रवण्णउ दिव्वासणु समुच्चु उप्पण्णउ ॥ ६ तहिँ जाणइ जण-साहुक्कारिय सइँ सुरवर-वहूहिँ वइसारिय ॥ ७ तहिँ वेलहिँ सोहइ परमेसरि णं पच्चक्ख लच्छि कमलोवरि ॥८ आहय दुन्दुहि सुरवर-सत्थे मेल्लिउ कुसुम-वासु सइँ हत्थें ॥ ९
॥ घत्ता ॥ जय-जय-कारु पघुट्ठउ सुह-वयणावण्णण-भरिउँ । णाणाविह-तूरं-महा-रउ जाणइ-जसु वै पवित्थरिउ ॥ १०
[१५] तो एत्थन्तरे णिरु दीहाउस सीयहें पासु ढुक्क लवणकस ॥ १ जिह ते तिह विण्णि वि हरि-हलहर तिह भामण्डल-णल-वेलन्धर ॥२ तिह सुग्गीव-णील-मइसायर तिह सुसेण-विससेण-जसायर ॥ ३ तिह स-विहीसण कुमुअङ्गङ्गय जणय-कणय-मारुइ-पवणञ्जय ॥४ तिह गय-गवय-गवक्ख-विराहिय वज्जजङ्घ-सत्तुहण गुणाहिय ॥ ५ तिह महिन्द-माहिन्दि स-दहिमुह तार-तरङ्ग रम्भ-पहु-दुम्मुह ॥ ६ तिह मइकन्त-वसन्त-रविप्पह चन्दमरीचि-हंस-पहु-दिढरह ॥७ चन्दरासि-सन्ताण णरेसर रयणकेसि-पीईङ्कर खेयर ॥ ८
14. 1 P °3. 2 PS विच्छं. 3 PS ° पुणु. 4 P S पवंदिउ. 5 P देवए, देवई. 6 PS °यउ, A °य.7 Ps omit. 8 P वित्थरिमउ, s वित्थरियउ. 15. 1 PS °घु. 2 PS महिंदिमाहिंद. 3 Ps यं. [१४] १ तदनन्तरं नवकव(! म)लैराच्छादितः.
पट०च०२९
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