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२२२] सयम्भुकिउ परमचरिउ
[क०७, ३-९, ८, १-९,९, १-२ पुष्फ-विमाणे चडिय अणुराएं परिमिय विजाहर-सङ्घाएं ॥३ कोसल-णयरि पराइय जाहिँ दिणमणि गउ अत्थवणहों ताहिँ ॥ ४
जेथहाँ पिययमेण णिवासिय तहाँ उववणहाँ मज्झें आवासिय ॥५ . कह वि विहाणु भाणु णहें उग्गउ अहिमुहु सजण-लोउ समागउ ॥ ६ 5 दिण्णइँ तूर. मङ्गलु घोसिउ पट्टणु णिरवसेसु. परिओसिउ ॥ ७ सीय पैविट्ठ णिविट्ठ वरासणे सासण-देवय.णं जिण-सासणें ॥८
॥ घत्ता ।। परमेसरि पढम-समागमें झत्ति गिहालिय हलहरेण । सिय-पक्खों दिवसें पहिल्लएँ चन्दलेह णं सायरेण ॥ ९
[८] कन्तहें तणिय कन्ति पेक्खेप्पिणु पभणइ पोमणाहु-विहसेप्पिणु ॥ १ 'जइ वि कुलुग्गयाउ णिरवजउ महिलउ होन्ति सुई णिल्लजउ ॥ २ दर-दाविय-कडक्ख-विक्खेवउ कुडिल-मइउ वड्डिय-अवलेवउ ॥ ३ वाहिर-धिट्ठउ गुण-परिहीणउ किह सय-खण्ड ण जन्ति णि हीणउ ॥ ४ 15 णउ गणन्ति णिय-कुलु मइलन्तउ तिहुअणे अयस-पडहु वजन्तउ ॥ ५
अङ्ग समोड्डेवि धिद्धिक्कारहों वयणु णिएन्ति केम भत्तारो' ॥६ सीय ण भीय संइत्तण-गव्वें वलेंवि पवोल्लिय मच्छर-गव्वें ॥७ 'पुरिस णिहीण होन्ति गुणवन्त वि तियहें ण पत्तिज्जन्ति मरन्त वि ॥ ८
॥ घत्ता ॥ खडु लक्कडु सलिलु वहन्तियहें पंउराणियहें कुलुग्गयहें । रयणायरु खारइँ देन्तउ " तो वि ण थकइ गम्मयहें ॥ ९
[९] साणु ण केण वि जणेण गणिजइ गङ्गा-णइहिं तं जि व्हाइज्जइ ॥ १ . ससि स-कलङ्कु तहिँ जि पह णिम्मल कालउ मेहु तहिँ जें तडि उज्जल ॥ २
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''7. 1 Ps जत्थ. 2 Ps पइ°. 8. 1 P°द्ध, 8 °द्ध. 2 ' S 'डु. 3 Ps ति°. 4 P marginally 'गग्गरसद्दे' पाठे.
[७] १ भवतां दाक्षिण्येन. [८] १ सतीत्वमहत्त्वेन. २ पवित्राभिः । चिरन्तनाभिर्वा. ३ नद्याम् (१).
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