SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 280
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०३, १-९,४,१-९ तं णिसुणेवि चवइ रहणन्दणु 'जाणमि सीयहें तणउ सइत्तणु ॥ १ जाणमि जिह हरि-वंसुप्पण्णी जाणमि जिह वय गुण-संपण्णी ॥२ जाणमि जिह जिण-सासणे भत्ती जाणमि जिह महु सोक्खुप्पत्ती ॥ ३ । जो अणु-गुण-सिक्खा-वयं धारी जो संम्मत्त-रयण-मैणि-सारी ॥४ जाणमि जिह सायर-गम्भीरी जाणमि जिह सुर-महिहर-धीरी ॥५ जाणमि अङ्कस-लवण-जणेरी जाणमि जिह सुय जणयहों केरी ॥ ६ जाणमि सस भामण्डल-रायहाँ जाणमि सामिणि रजहाँ आयहाँ ॥ ७ जाणमि जिह अन्तेउर-सारी . जाणमि जिह महु पेसण-गारी ॥ ८ जाणा ॥ घत्ता ॥ मेल्लेप्पिणु णायर-लोऍण महु घरे उभा करेंवि कर। जो दुजसु उप्परें घित्तउ एउ ण जाणों एक्कु पर' ॥ ९ [४] तहिँ अवसर रयणासव-जाएं कोक्किय 'तियड विहीसण-राएं ॥१ 15 वोल्लाविय एत्तहे वि तुरन्तें लङ्कासुन्दरि तो हणुवन्तें ॥ २ विण्णि वि विण्णवन्ति पणमन्तिउ सीय-सइत्तणे गव्वु वहन्तिउ ॥ ३ 'देव देव जइ हुअवहु डज्झइ जइ मारुउ पड-पोट्टले वज्झइ ॥४ जइ पायाले णहङ्गणु लोदृइ कालन्तरण कालु जइ तिट्टई ॥ ५ जइ उप्पजइ मरणु कियन्तहाँ जइ णासइ सासणु अरहन्तहों ॥६ 20 जइ अँवरें उग्गमइ दिवायरु मेरु-सिहरे जइ णिवसइ सायरु ॥७ एउ असेसु वि सम्भाविजइ सीयहें सीलु ण पुणु मइलिजइ ॥१८ ॥ घत्ता ॥ जइ एव वि णउ पत्तिजहि तो परमेसर एउ करें। तुल-चाउल-विस-जल-जलणहँ पञ्चहँ एक्कु जि दिव्वु धरे' ॥ ९ 3. 1 PS जाणमि. 2 P s omit वय. 3 P संम०. 4 s omits भणि. - 5 Ps 'धा --6 P°हु corrected as °मि, °मि. 4. 1 Ps °णु. 2 s णि?इ. [३] १' कथयति. २ सम्यक्त्व. [४] १ तृजटा. २ कालान्तरे मध्ये यदि कालोत्पद्यते. ३ पश्चिमदिशायाम् . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy