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________________ २१६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०१४, १-१३,१५,१-८ [१४] कहिं जि धाइया भडा मइन्द-विक्कमुभंडी ॥१ स-रोस-वावरन्तया परोप्परं हणन्तया ॥२ कहिं जि आगया गया पहार-संगया गया ॥३ 5 कहिं जे वाण-जजरा भमन्त मत्त कुञ्जरा ॥४ कहिं जें दन्ति दन्तया रसन्ति भग-दन्तया ॥५ कहिं जे ते सु-लोहिया गिरि व्व धाउ-लोहिया ॥ ६ कहिं जे आहया हया पडन्ति चिन्धया.धया ॥७ कहिं जें उद्ध-खण्डयं पणच्चियं कवन्धयं ॥८ " तओं तहिं महारणे भडेक्कमेक-दारुणे ॥९ गलत-सोणियारुणे विमुक्क-हक्क-दारुणे ॥ १० पिसाय-णाय-भीसणे अणेय-तूर-णीटाणे ॥ ९१ मिलन्त-ठन्त-वायसे "सिवा-णियन्त-फोप्फसे ॥ १२ ॥ घत्ता ॥ ताव वलुटुंरु वइरि-वलु जगडन्तु मझें सङ्गामहों । धाइउ अङ्कुसु लक्खणहों अभिट्ठ लवणु रणें रामहों ॥ १३ [१५] अल्भिह परोप्परु लवण-राम णं दइवें णिम्मिय विण्णि काम ॥ १ विण्णि वि भूगोयर-सार-भूय थिय विण्णि वि णाई कियन्त-दूय ॥२ 20 णं सग्गहाँ इन्द-पडिन्द पडिय विणि वि णिय-णिय-रहवरेंहिँ चडिय ३ विण्णि वि अप्फालिय-चण्ड-चाव विण्णि वि अवरोप्पर पलय-भाव ॥४ विण्णि वि दप्पुद्धर वद्ध-रोस विण्णि वि सुरसुन्दरि-जणिय-तोल ॥५ विण्णि वि रण-रामालिङ्गियङ्ग विण्णि वि दूरुज्झिय पिसुण-सङ्ग ॥ ६ विणि वि अवहत्थिय-मरण-सङ्क विण्णि वि पक्खालिय-पाव-पङ्क ॥ ७ ॥ घत्ता ॥ ताव रणगणे राहवहाँ आयावि विक्कम-सारें। सहुँ धय-धवल-महद्धऍण धणु पाडिउ लवण-कुमार ॥८ 14. 1 PS °व. 2 P°°. 3 Lines 5 and 6 omitted in s. 4 Ps खंधयं. 5 PS हो. 6 PS 'ति. 7 PS °पत्त. 8 PS °द्ध.. 15. 1 PS सरण. [१४] १ ' प्रहारसंगता गजाः. २ ' दमिताः. ३'' रक्तेन प्लाविताः. ४ सिवा मासमालोकयन्ति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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