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क०११,९,१२,१-९,१३, १-९
उत्तरकण्ड-बासीमो संधि [२१५
॥ घत्ता ॥ तें सहुँ काइँ.महाहवेण णिय-कोसु असेसु वि देप्पिणु । सुहु जीवहाँ उज्झाउरिहें लवणकुस-केर करेप्पिणु' ॥९
[१२] आसीविस-विसहर-विसम-चित्तु णारायणु हुअवहु जिह पलित्तु ॥ १ ॥ 'जा जाहि दूअ किं गजिएण जलएण व जल-परिवजिएण ॥२ को वजजङ्घ कोऽणगलवणु को अङ्कुसु तासु पयावु कवणु ॥ ३ जिह सक्कों तिह उत्थरहों तुम्हें गहियाउह थिय सण्णहवि अम्हें ॥४ गउ दूर तुरन्तु वहन्तु खेरि हय हरि-वल-वले सण्णाह-भेरि ॥ ५ सण्णडु रामु रामाहिरामु तइलोकब्भन्तर भमिउ णामु ॥६ सण्णडु पलय-कालाणुकारि लक्खणु सुह-लक्खण-लक्ख-धारि ॥७ सणद्ध णराहिव गिरवसेस वीसम्भर-गोयर खेयरेस ॥ ८
॥ पत्ता ॥ हय-तूरइँ किय-कलयलई दारुण-रणभूमि-पयट्टइँ। लवणकुस-हरि-वल-बलइँ ___स-रहसइँ वे वि अभिट्टइँ ॥९ ।।
[१३] अन्भिट्टइँ हरिस-पसाहणाई लवणकुस-हरि-वल-साहणाइँ ॥१ दुव्वार-वइरि-विणिवारणा धाइय-उद्धङ्कुस-वारणाइँ ॥ २ दृद्धर-पर-णर-दप्प-हेरणाइँ अवरोप्पर पेसिय-पहरणाइँ ॥ ३ जस-लुद्धइँ वड्डिय-विग्गहाइँ रण-रामालिङ्गिय-विग्गहाइँ॥४ हरि-खुर-खय-रय-कय-धूसराइँ आयामिय-भामिय-असिवराइँ ॥५ असि-किरण-करालिय-णहयलाइँ गय-मय-कद्दमिय-महीयलाई ॥ ६ रुहिर-णइ-पूर-पूरिय-पहाइँ खुर-खोणी-खुत्त-महारहाइँ ॥ ७ पय-भर-भारिय-वीसम्भराइँ पहरन्ति परोप्पर णिब्भराइँ॥८
॥ घत्ता ॥ वजजङ्घ-रहुवइ-वलइँ दिट्टइँ सुरपुर-परिपालें।
रण-भोय] भुञ्जन्तऍण वे मुहइँ कियइँ णं कालें ॥९ 12. 1.2 °विसहरु, S विहरण. 2 PS °णु. 3 P पलय 13. 1 Ps °धु. 2 P S °रि. 3 PS °ण. 4 P णाइ किय.
४ भण्डारम्.
[१२] १ मेघेन. २ हत. ३ भूमिगोचराः. [१३] १ स्वीकृत, २ ' पृथ्वी. ३ इन्द्रेण.
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