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________________ 5 २१४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 'किं अम्हह वलें सामन्त णत्थि किं अम्हहँ दिढइँ ण वारणाइँ किं अम्हाँ त ण होइ घाउ तो वुच्च मयणडुण जेण स्वाविय माय महु हय भेरि पयाण दिष्णु तेहिँ अग्गऍ दस सर्य कुट्ठारिया हँ 10 पण्णारह खेवणि- करयला हँ छव्वीसइँ कुसिय-विसोहिया हँ दस लक्ख गयहुँ मय- भिरा हुँ वत्तीस लक्ख फारक्कियाहुँ रण-रसिहँ रहसीऊरिया हुँ 15 णरवइहिँ फोडिदस किङ्करा हँ 25 स-रहसु लवणङ्कुसहँ' वलु णं खय-काले समुद्द-जलु 20 तो दप्पुद्धुरेंहिँ णिरङ्कुसेहिँ गउ झत्ति अउज्झाउरि पड्डु 'अहों रहुवइ अह लक्खण- कुमार परणारी हरण - दयावणेण इहु घँइँ पुणु णरवइ वज्जजङ्कु परमुत्तमं सत्तु महाणुभावु रण- रामालिङ्गण-रस-पसत्तु लणङ्कुस - मामु महा-पचण्डु 10. 1Ps सहस कुठा° 2 °णिज्झ 11. 1°. 2 PS. [क० ९, ६ - ९, १०, १- ९, ११, १किं अम्ह ण-विरह-तुरय-हत्थि ॥ ६ किं अम्हाँ करेंहिँ ण पहरणाइँ ॥ ७ सामण्ण-मरण को भयहों थाउ' ॥ ८ ॥ घत्ता 'एत्तडउ तावदरिसावमि । तहों तणिय माय. रोवावमि' ॥ ९ Jain Education International [१०] रण-रस-भरियहिं लवणङ्कसेहिं ॥ १ दस दारुण कुद्धल - धारियाहँ ॥ २ झसियहँ चवीस महा-वलाहँ ॥ ३ वत्तीस सहासइँ चक्कियाहँ ॥ ४ दस रहुँ अट्ठारह वराहूँ ॥ ५ चउसट्ठि पवर धाणुक्कियाहुँ ॥ ६ अक्खोहणि साहणें तुरियाहुँ ॥ ७ सावरणहँ वर-पहरण- कराह ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ पहें उप्प कह 'विण माइयउ । रेलन्तु अउज्झ पराइयउ ॥ ९ [११] पट्टविउ दूर लवणङ्कुसेहिँ ॥ १ स- जणद्दणु 'सीया- दइ दिनु ॥ २ वोल्लिज्जइ केन्ति वार-चार ॥ ३ तुम्हइँ' हेवाइय रावणेण ॥ ४ उवहि व अ-खोहु मेरु व अ-लङ्कु ॥ ५ सुर-भुवणन्तर- णिग्गय-पयावु ॥ ६ जसु तिण-समु पर धणु पर- कलत्तु ॥ सो तुम्हँ आइ काल-दण्डु ॥ ८ 3 s आसा. 4 Ps ° हो. 54 भि. [११] १ रामश्च. २ गर्व नीताः ३ इदानीम्, साम्प्रतम्. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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