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________________ 5 णिऍवि जुवाण-भाव सयलामल-कुल-णहयल-मियङ्क रण-भर-धुर-घोरिय धीर - खन्ध धर-धारण दुद्धर-धर-धरिन्द परिरक्खिय - सामिय सरण- मित्त 10 भू-भूसण भुवणाभरण-भाव रामाहिराम रामाणुसरिस पैर-पवर - पुरञ्जय जणिय-तीस ' 15 २१०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 20 25 [ ८२. बासीमो संधि ] ससहर-चक्कङ्किणीमहुँ । सुरवर- डामर- डामरेंहिँ भिडियां आहवें वे वि जण लवणङ्कुस लक्खण- रामहुँ ॥ लवणङ्कुस पट्टविय महन्ता तेण तासु 'दे देहि अयम- तणिय वाल दू व दूमिरिन्दु 'कुल- सील- कित्ति-परिवज्जियाहँ' ग दूर दुरक्खर - दूमियङ्क लवणस मामों कहिउ तेव तं वयणु सुणेपिणु लइय खेरि उक्खन्धे उपरि चलिङ तासु माणुस - सें अवयव 'कि परिणाम जमल-मइ' ताव राहि वग्घरहु जलहर खीले वि सुक्कु जिह [१] कलि- कवलण कलिय- कला - कैलाव ॥ १ णं अँरि-करि-केसरि मुक्क-सङ्कः ॥ २ गुण-गण-गणालि णं 'सेउ-वन्ध ॥ ३ वन्दिय-जिणिन्द- चरणारविन्द ॥ ४ वन्दिग् गोग्गहें किय-परित ॥ ५ दस - दिसि - पत्त - णिग्गय-पयाव ॥ ६ जॅण-जाणइ-जणणहँ जणिय - हरिस ॥ ७ मुह-चन्द- चन्दिमा - धवलिया ॥ ८ ॥ घन्ता ॥ वे भायाइँ थिय कामहो । उप्पण्ण चिन्त मण मामहों ॥ ९ [२] पिहिमी - पुरवरें' 'पहु-पेहु पासु ॥ १ कमणीय - किसोर कणयमाल ॥ २ णं फुरिय-फणामणि थिउ फणिन्दु ॥ ३ को कण्णउ देइ अलज्जियाहँ" ॥ ४ णं दण्ड-घाय घाइउ-भुअङ्गु ॥ ५ 'पिहु-राएं दुहिय ण दिष्ण जेव ॥ ६ देवावि लहु सण्णा - भेरि ॥ ७ पिहिमी - पुरवर - परमेसरासु ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ पिहु-पक्खिर रण-महि मण्डेवि । थि अग्गऍ जुज्झु समोšवि ॥ ९ २ समूह. [१] १ यमः. ७ लोक - सीता-राम- त्रयाणां च. [२] १ पृथुनामराजा. [क० १, १९, २,१-९ 1. 1Ps मेहिं. 2Ps °याहवे विहिं (s ° हि ) वे वि. 3PS उरु. 4 Ps गणणइ. Ps. 6 PAणाइ, s इ. 7s °य. 8PS परिणाविय. 2. 1P sर. 2 P s fu°. 3 P°णेहिं, s हि. 4 Ps ° हो. 5 Ps संगाम'. Jain Education International ३ (v. 1. उरु ) गरिष्ट. ४ पानिबंध ५ रक्षा. ६ रामसदृश. ८ हर्षोत्पादकाः ९ शत्रुरपुरोपार्जको १० दिसाः .. २ राजपार्श्वे. ३ मनोज्ञ. ४ गृहीत कंदलं. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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