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क० १४, ६-१०,१५, १-१०]
उत्तरकण्डं-एक्कासीइमो संधि [२०९ राम-णारि लक्खणु महु देवर भामण्डलु एकोयरु भायर ॥ ६ जणउ जणेरु विदेह जरी सुण्ह णरिन्दों दसरह-केरी' ॥ ७ पभणइ वज्जजङ्घ 'महि-पाला लक्खण-राम माएँ महु साला ॥ ८ तुहुँ पुणु धम्म-वहिणि हउँ भायरु' साहुक्कारिउ सुरेंहिँ गरेसरु ॥९
॥ घत्ता ॥ लायण्णु णिऍवि सीयहें तणउ तिहुअणे कासु ण खुहिउ मणु । गिरि धीरें सायरु गहिरिमऍ वजजङ्घ पर एक्कु जणु ॥ १०
[१५] ॥ जम्भेट्टिया ॥ मम्भीसेप्पिणु वय-गुण-थाणेणं ।
णिय परमेसरि सिविया-जाणेणं ॥१ पुण्डरीय-पुरकर पइसन्ते हट्ट-सोह णिम्मविय तुरन्तें ॥२ सस भणेवि पडहउ देवाविउ जणु आसङ्का-थाणु मुआविउ ॥ ३ तहिँ उप्पण्ण पुत्त लवणकुस लक्खण-लक्खकिय दीहाउस ॥ ४ सीयाएविहे णयण-सुहङ्कर पुव्व-दिसिहे णं चन्द-दिवायर ॥ ५ विद्धिं-गय सिक्खविय महत्थई वायरणाइ-अणेयइँ सत्थई ।६। 15 सयल-कला-कलाव-कवणीया मन्दर-मेरु णाई थिय वीया ॥७ तेहिं पहावें तहिँ रिउ थम्भिय रहुकुल-भवण-खम्भ णं उब्भिय ॥८ स-रहस सावलेव स-कियत्था लक्खण-रामहुँ समर-समत्था ॥९
। घत्ता ॥ रिउ लवणङ्कुहिँ णिरङ्कुहिँ दण्ड-सज्झु किउ णाइँ अहि। 20 चप्पेवि वप्पिक्की दासि जिह 'लइय स य म्भु व लेण महि ॥ १० .
3 P S A°इ. ___15. 1 जाणु. 2 P S °क°. 3 P मूया', S सूया . 4 s °विणय'. 5 P S A इ. 6 P 8 °य: 7 P वप्पक्की, 5 वप्पकी.
६ | दशरथ.
[१५] १ कमनीका (2) मनोज्ञाः. २ विमलतीर्थंकरस्य मंदरमेरुनामानौ द्वौ गणधरौ तथैवैतौ द्वौ भ्रातरौ.
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