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क० ११,२-१०, १२, १-७]
उत्तरकण्डं-एक्कासीइमो संधि [२०७ सेवा-धम्मु होइ दुजाणउ पहु पेक्खेवउ वग्घ-समाणउ ॥ २ भोयणे सयणे मन्ते, एकन्तुएँ मण्डल-जोणि-महण्णव-चिन्तऍ ॥३. जहिँ अत्थाणु णिवन्धइ राणउ तहिँ पाइक्कु जई वि पोराणउ ॥४ णउ वइसणउ ण वड्डउ जीवणु ण करेवउ कयावि 'णिट्ठीवणु॥५ पाय-पसारणु हत्थप्फालणु उच्चालवणु समुच्च-णिहालणु ॥ ६ हसणु भसणु पर-आसण-पेल्लप्पु गत्त-भङ्गु मुह-जम्भा-मेल्लणु ॥ ७ णउ णियडएँ ण दूरे वइसेवउ रत्त-विरत्त-चित्तु जाणेवउ ॥ ८ अग्गल पच्छल परिहरिएवी जिह तूसइ तिह सेव करेवी ॥९
॥ पत्ता ॥ पणवेप्पिणु वम्फइ वड्डिमहें सिरु विक्किणइ जिएवाहों। सोक्खहाँ अणुदिणु पेसणु करेंवि णवरि ण एक्क वि सेवाहों' ॥१०
[१२] ॥ जम्भेट्टिया ॥ एम भणेप्पिणु रहु पल्लट्टिउ ।
समुहु अउज्झहें सूउ पयट्टिउ ॥ १ वार-चार तहे दिण्णु विसेसणु जामि माऍ महु एत्तिउ पेसणु ॥२ ।। जं असहेजी मुक्क वणन्तरें मुच्छउ एन्ति जन्ति तहिँ अवसरें ॥३ धाहाविउ उक्कण्ठुल-भावऍ 'कम्मु रउद्दु कियउ मइँ पावऍ ॥ ४ मञ्छुडु सारस-जुअलु विओइउ । चक्कवाय-मिहुणु वै विच्छोइउ ॥ ५ जम्महँ लग्गेवि दुक्खहँ भायण हा भामण्डल हा णारायण ॥ ६ हा सत्तुहण णाहिँ मम्भीसहि हा जणेरि हा जणण ण दीसहि ॥ ७ ॥
11 : P S A °ति. 2 PS पहु. 3 s जो. 4 Ps °डे. 5 8 °°. 6 PS बंछ. 12. 1 P निंदितु, s निंदंतु for तहे दिण्णु. 2 After पेसणु P adds marginally the following lines, which excepting the first distich are also found in S: 'देइ संदेसउ सीया सूयहो वहुगुणजुत्तहो धम्मासत्तहो ॥ रह(हु) वइ रामहो एम कहेजसु मइ जिह मा जिणधम्मु चइज्जसु ॥ लोयालावणेण अवियारिउ' तेण हवेसइ वहु (उरु) संसारि (s र) उ॥ गउ पुरि (sरे) वलेण पिट्ट संदेसउ तेण वि तासु कहिउ सविसेस (उ)॥
तं सुणेवि ( णिसुणिवि) हलहरु मुच्छाविउ कहव किलेसें चेयण पाविउ ॥ 3 PS A °च्छि... 4 A वि.
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थुकुनम्. ३ T सेवकस्य. [१२] १.सीतया.
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