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________________ २०६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०९,५-१०,१०, १-१०,११,१ णाग-पुण्णाग-णारङ्ग-णो मालियं कुन्द-कोरण्ट-कप्पूर-कक्कोलयं ॥५ : सरल-समि-सामरी-साल-सिणि-सीसवं पाडली फोफली केअई वाहवं ॥ ६ माहवी-मड्ड-मालूर-बहुमोक्खयं सिन्दि-सिन्दूर-मन्दार-महुरुक्खयं ॥७ णिम्व-कोसम्व-जम्वीर-जम्बू वरं खिजिणी.राइणी तोरणी तुम्बरं ॥८ 5 णालिकेरी करीरी करालणं . दाडिमी देवदारु-कयंवासणं ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ " . जं जेण जेम्व कम्मर्ड कियउ, तं तहों तेव समावडइ । किं रजहों टालेंवि जणय-सुअ दइवें णिजइ सं अडइ ॥ १० [१०] ॥ ॥ जम्भेट्टिया ॥ सइहें वि होन्तिहे लन्छणु लाइउ । सव्वहाँ विलसइ कम्मु पुराइउ ॥ १ जत्थ दंस-मसयं भयङ्करं । सीह-सरहयं णङ्क-सूयरं ।। २ णाय-णउलयं कायलोलुहं हत्थि-अजयरं दव-महीरुहं ॥ ३ दब्भ-सीर-कुस-कास-मुञ्जयं पवण-पडिय-तरु-पण्ण-पुञ्जयं ॥४ Is विडव-णिहस-चुण्णुग्ध-मच्छियं किमि-पिपीलि-उँदेहि-विच्छियं ॥५ 'हीर-खुण्ट-कण्टय-णिरन्तरं सिल-खडक्क पत्थर-णिसत्थरं ॥ ६ तहिँ महा-वने परम-दारुणे सीह-पहय-गय-सोणियारुणे ॥७ अच्छहल्ल-पइउल्ल-भीसणे सिव-सियाल-अलियल्लि-भी(?णी)सणे ॥८ मुक्क तेत्थु सूंएण जाणई 'महु ण दोसु रहुवइ जे जाणई ॥९ ॥घत्ता ।। वरि विसु हालाहउ भक्खियउ वरि जम-लोउ णिहालियउ । पर-पेसण-भाय] दुह-णिलउ - सेवा-धम्मु ण पालियउ ॥ १० [११] ॥ जम्भेट्टिया ॥ दुप्परिपालउ जीविय-संसउ । ___ आण-वडिच्छउ 'विकिय-मंसउ ॥१ 4 PS णे. 5 P s °द. 6 P S .7 Ps °सि. 8 PS °यं. 9 s °42. 10 A °म. 21 PS °°. 12 P S °वु. 13 P S °क. 14 P . ___10. 1 P S सूरयं. 2 P A पीप०. 3 PS °णा. 4 Ps °ण. 5 P S अथ'. [१०] १ काकोलूककम्. २ अग्निः. ३ ' कीटिका. ४ दीपकैः ( ' दीवकैः ). ५ पलसटा (8) ६ T वइहल (?). वृक्षविशेषः. ७ सारथिना. ८ सीता. [११] १T विक्रीतमस्तकम् ( ? ).. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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