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क०७, ८-१०,८, १-१०,९,१-४] उत्तरकण्डं-एक्कासीइमो संधि [२०५ जंजणवउ णिय-णाहु ण पुच्छइ लद्ध-पसरु राय-उलु दुगुञ्छइ ॥८ रहु-कउत्थ-अगरण्ण-विरामेंहिँ दसरह-भरह-णराहिव-राहिँ ॥ ९
॥घत्ता ॥ इक्खुक्क-वंसें उप्पण्णऍहूिँ सव्वेहिँ पालिउ पुरु अचलु। तहों पर्य-उवयार-मह(महाँ लऽ भडारा परम-फलु' ॥ १०
. . [८] ॥ जम्भेट्टिया ॥ हरि वुज्झाविउ केम वि रामेणं ।
हलु वि ण भावइ सीयहें णामेणं ॥१ 'एत्थु वच्छ अवहेरि करेवी जणय:तणय वणे कहि मि थवेवी ॥२ जीवउ मरउ काइँ किर तत्तिए किं दिणमणि सहुँ णिवसइ रत्तिएँ ॥ ३ ॥ मं रहु-कुले कलङ्कु उप्पजउ तिहुअणे अयस-पडहु मं वजउ' ॥४ जाउ णिरुत्तरु केइकइ-णन्दणु लहु सेणाणी ढोइउ सन्दणु ॥५ देवि चडाविय णिय-परिएसहाँ पेक्खन्तहाँ पुरवरहों असेसहों ॥ ६ धाहाविउ कोसलऍ सुमित्तएँ सुप्पहाएँ सोआउर-चित्तएँ ॥७ णायरिया-यणेण उक्कण्ठे 'केव विओइय दइवें दुढें ॥ ८ घरु विणट्ठ खल-पिसणहुँ छन्दै धि-धि अजुत्तु किउ राहवचन्दें ॥ ९
॥ घत्ता ॥ किं माणुस-ज़म्में लद्धऍण इट्ठ-विओय-परम्परेण । वरि जाय णारि वणे वेल्लडिय जा णवि मुच्चइ तरुवरण' ॥ १० [९]
20 ॥ जम्भेट्टिया ॥ ताव तुरङ्गेहिं णिउ रहु तेत्तहे ।
• वियण महाडइ दारुण जेत्तहे ॥१ जेत्थु सज्जजुणा धाइ-धव-धम्मणा ताल-हिन्ताल-ताली-तमाल अणा ॥२ चिश्चिणी चम्पयं चूअ-चवि-चन्दगा वंसु विसु वझुलं वउल-वड-वन्दणा ॥३ तिमिर-तरु तरल-तालूर-तामिच्छयं सिम्बली सल्लइ सेल्लु सत्तच्छयं ॥४ 2 5s जिं. 6 PS अणु. 7 P पई, S A पइ. • 8. 1 P S°धिवेवी. 2 P S A हु. 3 P°त्तिहे, s °त्तहि. 4 P °हे, S हो. 5 P धिद्धिअत्तु,S धिद्धियत्थु..
9. 1 P S स. 2 P S °तासूर . 3 P S संव. २ अनंतरानंतरैः (?). ३ तस्य मजायारुपकारम्. [८] हलु-शब्दः सीतायाः (?): २ लक्ष्मणः. [९] १" वेडसं. २ ' अंजनं.
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