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________________ २०४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ ५,१०,६,१-१०,७,१-७ ॥ घत्ता ॥ णिय-णेह-णिवद्धउ आवडइ जइ वि महा-सइ महु मणहों। को फेडेंवि सक्कइ लञ्छणउ जं घर" णिवसिय रावणहों' ॥१० [६] 5 ॥ जम्भेट्टिया ॥ ताव जणदणु णाइँ हुआसणु। घिऍण व सित्तउ झत्ति पलित्तउ ॥ १ कड्डिउ सूरहासु करें णिम्मलु विजु-विलासु जलणु जालुजलु ॥२ 'दुजण-मइयवर्ल्ड हउँ अच्छमि जो जम्पई तहाँ पलउ समिच्छमि ।। ३ जं किउ खरहों महा-खल-खुद्दों : जं किउ रणे रावणहाँ रउद्दहों ॥४ ॥ तं करेमि दुजणहँ हयासहँ कुडिल-भुअङ्ग-अङ्ग-सङ्कासहँ ॥५ को घल्लावइ सीय महा-सइ णाम-ग्गहणे जाहें दुहु णासइ ॥६ जा सुरवरहिँ 'पइव्वय वुच्चइ जाहे पसाए वसुमइ पच्चई॥७ जाहे पहावें रहु-कुलु णन्दइ पलयों पिसुणु जाउं जो णिन्दइ ॥८ जाहें पाय-पंसु वि वन्दिजइ ताहे कलङ्कु केम लाइजइ ॥९ ॥ घत्ता ॥ जो रूसइ सीय-महासइहें सो मुहु अग्गएँ थाउ खलु । तहाँ पावहाँ विरसु रसन्ताहों खुडमि स-हत्थे सिर-कमलु ॥ १० [७] ॥ जम्भेट्टिया ॥धरिउ जणदणु रहुवइ-णाहणं । जउणा-वाहु व गङ्गा-वाहणं ॥ १ "जइ समुह णिय-समयहाँ चुक्का तो तहाँ को सवडम्मुह ढक्का ॥२ जइ वि 'डहन्ति णिमित्ते कन्दहँ तो वि ण रूसइ विञ्झु पुलिन्दहँ॥३ चन्दणु छिज्जइ भिजइ घासइ तो इण णियय-गन्धु तहाँ णासइ ॥४ दन्तु दलिज्जइ पावइ कप्पणु तो विःण मुअइ णियय-धवलत्तणु ॥ ५ 25 पय णरवइहिं णएण लएवी दुम्मुह जइ वि तो वि पालेवी ॥६ तो विण्णविउ कुमार राहवु 'अ) परमेसर परम-पराहवु ॥७ 8.PS वंधउ. 9 A °उं. 10 P S A घरि. 6. 1 P S A °इ. 2 PS °इ. 3 P marginally notes a variant दूसइ. 4s .जि, A जं. 5A विरसंताहो. 7. 1 A °वहु. 2 P गंगपवाहेणं, गंगावाहेणं. 3 PS हुडंति. 4 °ps तइ, A °ते. [६] १T पतिव्रता. [७] १ यतिनोऽणि नित्यं कंदमूलमुत्पाटयंति (?). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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