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क० ४, १-१०; ५, १–९]
॥ जम्भेडिया || 'पय-परिवारणं णं सिरें आहउ
चिन्तइ मउलिय- वयण-सरोरुहु ' विणु पर- तत्तिएँ को विपा जीवइ लोउ सहावें दुष्परिपालउ भीम-भुअङ्ग भुअङ्गागारउ
कइ सइ जइ णरवइ . णउ भावइ होइ हुआसणो व्व अविणीयउ चन्दु व 'दोस - गाहि खइ ख-त्थउ वाणु व लोह-फलु गुण-मुक्कर
॥ जम्भेट्टिया || अह खले - महिलहे को पत्तिज्जइ
अण्णु uिes अण्णु वोल्लावइ हियवइ णिवसर विंसु हालाहलु महिलहें तण चरिउ को जाणइ चन्द कल व 'सव्वोवरि वङ्की
उत्तरकण्डं - एक्कासीइमो संधि [ २०३
[ ४ ] मोर- घाणं ।
as कह विणिरङ्कुस होइ पय जो कलु देइ जलु दक्खवइ
व-विलिय व चञ्चल-देही 'वाणिय-कल कर्वडङ्किय-माणी णिहि व पयतें परिरक्खेवी
अप्पाणेण जे अप्पर वोहिउ
रहुवइ - णाह ॥ १
वसुह लिहन्तु ठन्तु हेट्ठा-मुहु ॥ २ सइँ विणडु अण्णइँ उद्दीवइ ॥ ३ विसम-चित्तु पर- छिद्दे - णिहालउ ॥ ४ पगुण- गुणुज्झिर अवगुण - गारउ ॥ ५ अवसे किंपि कलङ्क लावइ ॥ ६ गिम्भु व अणिच्छिय-सीय ॥ ७
सूरु व कैर-चण्ड दूर-त्थउ ॥ ८ विन्धणसीलउ धम्महों चुक्कउ ॥ ९
॥ घत्ता ॥
तो हैस्थि-हडहें अणुहरइ । तासु जें जीविर्ड अवहरइ ॥ १०
[५]
णइ जिह कुडिल हे । जइ वि मरिज्जइ ॥ १
चिन्तर अण्णु अण्णु मर्णे भावइ ॥ २ अम वय दिट्ठि जमु केवलु ॥ ३ उभय-तडइँ जिह खणइ महा-णइ ॥ ४ 20 दोस - गाहिणि सइँ स - कलङ्की ॥ ५ गोरस - मैन्थ व कारिम-णेही ॥ ६ अडइ व 'गरुआसङ्का-थाणी ॥ ७ गुलहि खीर व कहाँ विण देवी' ॥ ८
'वरि गय सीय म लोउ विरोहिउ ॥ ९s
2 s A f. 3 PSA f. 4 P s चि. 5 Ps लोहा °. 6 Ps
4. 1च्छंद. 7A ° उं.
गुण
5. 1 A खेल. 2A °उं. 3 P°ल व्त्र, S ° लेव. 4A संथ. 5 P°लं. चंडकिय, $ व कवडणिय 7 P गुलस, SA गुलहि
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6.
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[४] १प्रयदुर्वाक्येन २ कवि - महासती - यतिपतिश्च राजानो न प्रतिभाति । एवमेव कलंकं वदति - ३ विनयरहितो लोको हुताशनस्तु • मेषवाहनः. ४ हिमं सीतादेवी च. ५ रात्रिगाही क्षयी गगनस्थश्व चंद्रो लोकः स्त्रीदोषग्राही क्षयी खस्थो भीतः ६ किरणप्रतापी भानुः, लोकस्तु दुर्वचनदायी. ७ हस्तिघटायै. [५] १ पुत्र- पितादेः, शंकरस्य च कविसमये. २ श्रेष्ठिनः ३ T अतीवशंकास्थानं. ४ गुडघृतसहितः .
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