________________
२०२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० २,२-१०;३, १-१. वलु वोल्लावइ णरवर-केसरि 'को दोहलउ अक्खु परमेसरि' ॥२ विहसिय 'वियसिय-पङ्कय-वयणी दन्त-दित्ति-उज्जोइय-गयणी ॥ ३ 'वल धवलामल-केवल-वाहहों। जाणमि पुज रयमि जिणणाहहों' ॥४ पिय-वयणेण तेण साणन्दे परम पुज किय राहव-चन्दें ॥ ५ । दिव्व-महिन्द-दुमय-णन्दण-वणे तरल-तमाल-बाल-ताली-घणे ॥ ६
चन्दण-वउल-तिलय-कुसुमाउले कल-कोइल-कुल-कलयल-सङ्घले ॥७ दाहिण-पवणन्दोलिय-तरुवरें भमिर-भमर-झङ्कार-मणोहरें ॥८ धय-तोरण-विमाण-किय-मण्डवें फेन्द-वन्द-सङ्कन्दिय-तण्डवें ॥९
णिन्द
॥ घत्ता
॥
तहिँ तेहएँ उववणे पइसरेवि जय-जय-सदें पुज किय । जिह जिणवर-धम्महों जीव-दय जाणइ रामहों पासें थिय ॥ १०
[३] ॥ जम्भेट्टिया ॥ ताव विणीयहे फन्दइ सीयहे ।
दुक्खुक्कोयणु दाहिणु लोयणु ॥ १ 15 'फुरेंवि आसि पइँ पर-दुग्गेज्झहें तिणि मि णीसारियइँ अउज्झहें ॥२ थियइँ विदेसें देसु भमन्तइँ दुस्सह-दुक्ख-परम्पर-पत्तइँ ॥३ रण-रक्खसेण गिलेवि उग्गिलियइँ कह वि कह वि णिय-गोत्तहाँ मिलियइँ॥४ एवहिँ एउ ण जाणहुँ इक्खणु काइँ करेसइ फुरवि अ-लक्खणु' ॥५ तो एत्थन्तर साहुद्धारें
आइय पय असेस कूवारें ॥६ 2. 'अहाँ रायाहिराय परमेसर णिम्मल-रहुकुल-णहयल-ससहर ॥ ७
दुद्दम-दणुअ-देह-मय-मद्दण तिहुअण-जण-मण-णयणाणन्दण ॥८ जइ अवराहु णाहिँ धर-धारा तो पट्टणु विण्णवइ भडारा ॥ ९
॥ घत्ता॥ पर-पुरिसु रमेवि दुम्महिलउ देन्ति पडुत्तर पँइ-यणहों।.. "किं रामु ण भुञ्जइ जणय-सुअ वरिसु वसेंवि घरे रामणहों" ॥१०
This Pada is wanting in A. 3 °महिंदोवय.
3. 1 s A °ण. 2 P फुरिवि, S A फुरवि. 3 s A °हो. 4 P s °हो, A °हि. -5A कहो वि कहो. 6 A वरिसद्ध. .. [२] १ ' विकशितपंकजवदना.
[३] १ एष नेत्रः २ वृक्षशाखां करैः कृत्वा, ३ " प्रजा आगताः. ४ भजनस्य.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org