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________________ १९८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ ७,९,८,१-९,९,१-८ ॥ घत्ता ॥ विहि मि परोप्पर वि-रहु किउ थिय वे वि गइन्देहि । साहुक्कारिय गयण-यलें जम-धणय-सुरिन्देहि ॥ ९ [८] , 5 'पचोइया गइन्दया मिलावियालि-विन्दया ॥१ खयग्गि-पुञ्ज-दुस्सहा गिरि व्व तुङ्ग-विग्गहा ॥ २ 'वलाहय व्व गज्जिया जियारि सारि-सज्जया ॥३ मइल्ल-गिल्ल-गण्डया धुणन्त-पुच्छ-दण्डया ॥४ करग्गि-छित्त-अम्बरा कयम्वुवाह-डम्वरा ॥५ 10 स-ढक्क ढुक्क दुजया झणझणन्त-गेज्जया ॥६ "विवक्ख-तिक्ख-केण्टया टणट्टणन्त-घण्टया ॥७ विसाणं-मिण्ण-दिम्मुहा यजि-पुक्खर उहा ॥८. ॥ घत्ता ॥ ताव कियन्तवत्त-भडेण रिउ आहउ सत्तिएँ। पडणत्थवणइँ दावियइँ णं सूरहों रत्तिएँ ॥९ [९] जं लवणमहण्णउ णिहउ रणे तं महुर-णराहिउ कुइउ मणें ॥१ आरुहिउ महा-रहें 'जुप्पि हय उन्भविय-धवल-धूवन्त-धय ॥२ दुद्दम-णरिन्द-णिदारणहुँ रहु भरिउ अणन्तहुँ पहरणहुँ ॥ ३ 20 हय समर-भेरि अमरिस-चडिउ स-रहसु कियन्तवत्तहों भिडिउ ॥४ 'महु तणउ तणउँ जिह णिहउ रणे तिह पहरु पहरु दिदु होहि मणें ॥५ तहिँ अवसरे अन्तर थिउ स-धणु तइँ दसरह-णन्दणु सत्तुहणु ॥ ६ ते भिडिय परोप्पर कुइय-मण णं वे वि पुरन्दर-दहवयण ॥ ७ महि-कारणे परिवड्डन्त-कलिणं भरह-णराहिव-वाहुवलि ॥८ 8. 1 P s गिरिंद. 2 After this P s read an extra Pada : पहंतदाणणिज्झरा. 3 P S A °हु. 4 A झलझलंत°. 5 T notes variants चित्त and °कंडया. 6 PS विलास. 7 Ps °पुष्प'. 8 Ps पडणुढवणइं (s °इ). 9. 1 P जमिय, S जम्मि. 2 PS उट्ठावियवलधूवत्त. 3 PS A °हु. 4 A °3. 5 P SA हि. 6 A °ति. [८] १ प्रेरिताः. २ मेघ इव. ३ मदवंतौ. ४ हृदयसल्लीभूसौ. ५ (T.'s variant) तीक्ष्णबाणाः. ६ दंतपादहस्तायनाः. [९] १ जोत्रिता.. २ पुत्रः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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