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________________ क०५, ९; ६, १–९, ७, १-८ ] महु मत्तों प्रहुराहिवहों अज्जु भडारा छ- द्दिवस करें लग्गइ जाव पण सूलु तहों वयणेण तेण रहसुच्छलिउ पुरें' वेढिऍ वारइँ रुद्धाइँ कि कल तूर आहयइँ धयरट्ठ - महागइ - गामिणिहिँ दिढ - लोह - कवाडइँ फोडियैइँ र-णायामर - दप्प - हरणइँसिहि-जाला - माला-लीवियइँ सत्हणों पणमिय-सिरेंहिँ 'पट्टणें जिणवर धम्में जिह सत्तुहणागमें पेवणञ्जयहाँ उप्पण्णु रोसु रहवरें चडिउ किउ कलयल तूर - रेवम्भइ तेण वि ओहामिय- सन्दणहों धणु ताडिउ पाडिउ आहयणें तेण वि कियन्तवत्तहों तणउ तेंदूरु वरुज्झि-पाण-भय कण्णिय - खुरुप्प - कप्परिय- कवय (?) 5 A °णि. C Jain Education International ॥ घत्ता ॥ 6s जिउ भइउ. उत्तरकण्ड - असीइमो संधि [१९७ चर - पुरिस गविट्ठों | ' पट्टों ॥ ९ [६] लइ ताव महुर महराहिवहों' ॥ १ पडिवण्णऍ अद्ध-रत्ते चलिउ ॥ २ भय-विहलहुँ संसऍ छुद्धाइँ ॥ ३ विरसियइँ असङ्घ सङ्घ-सयइँ ॥ ४ परिगलिय-गब्भ-रिउ-कामिणिहिँ ॥ ५ घर - सिहर - सहासइँ मोडियइँ ॥ ६ लइयइँ सावरणइँ पहरणइँ ॥ ७ घरें घरें जोऍवि मणि-दीवियइँ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ 2 PSA इ. सामन्तेंहिं' सीसइ । महु कहि मि ण दीसइ' ॥ ९ [७] 6. 1 Ps परि, पुरि. याहूं. 5 PSA °हि. 7. 1Ps खंब्भइउ, A 5 Ps तें [७] १ वायुदेवोऽन्यविद्याधरजयनशीलस्य (?) २ शत्रुघ्नस्य मंत्री : ३ लवणमहार्णवस्य ४ धनुषं. महु-पुत्तों लवणमहण्णवों ॥ १ सण्णाहु लइउ पर-वले भिडिउ ॥ २ सरवरेंहिं' 'कियन्तवत्तु छइउ ॥ ३ धय-दण्डु छिण्णु 'महु-णन्दणहों ॥ ४ दुवाएं णं मेहागमणें ॥ ५ सहुँ चिन्धे छिण्णु सरासणउ ॥ ६ धणुवे-य-पर-पारु गय ॥ ७ लोट्टाविय - सारहि पहय-हय ॥ ८ 3 P ° आइ, S °याइ. 4P आइ, याह. 2 PSA °. 3PS वाहिय 4 A 3. For Private & Personal Use Only 5 10 18 20 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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