SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क०१,७-१०२,१-९३," उत्तरकण्डं-असीइमो संधि [१९५ अवराह मि अवर. पट्टण 'घर-सिहर-रविन्दु-विहट्टणइँ ॥ ७ वलु जीवणु देइ विघोसइ वि 'जो णरवइ हूवउ होसइ वि ॥ ८ सो सयलु वि मइँ अब्भत्थियउ मा होउ को वि जगें दुत्थियउ ॥ ९ ॥घत्ता ॥ ‘णाएं भाएं दसमऍण पय परिपालेजहों। देवहँ सवणहँ वम्भणहँ मं पीड करेजों ' ॥ १० [२] पुणु पुणु अब्भत्थइ दासरहि । _ 'सो णरवइ जो पालेइ महि ॥१ अणुरत्तु पयएँ णय-विणय-परु सो अविचल रज्जु करेइ णरु ॥२ जो 'घ. पुणु देव-भोग हरइ वर-थावर-वित्ति-छेउ करइ ॥ ३ ॥ सो खयहाँ जाइ तिहिँ वासरेंहिँ । तिहिँ मासहिँ तिहिँ संवच्छरॅहिँ ॥४ जइ कह वि चुक्कु तहाँ अबसरहों तो अकुसलु अण्ण-भवन्तरहों' ॥ ५ सामन्त 'णिजन्तेवि राहवेण सत्तुहणु वुत्तु जीयाहवेण ॥ ६ 'ण पहुच्चइ काइँ एह पिहिमि सोमित्तिहें तुज्झु मज्झु तिहि मि ॥ ७ । पयडिजइ तो इ मझें जणहों लइ मण्डलु जं भावइ मणों ॥८ । ॥ धत्ता ॥ वुच्चइ सुप्पह-णन्दणेण तो वरि महरायहाँ तणिय 'जइ महु दय किजइ। . महुराउरि दिजई॥९ तो मणे चिन्ताविउ दासरहि 'दुग्गेज्झ महुर किह पइसरहि ॥ १ ॥ दुम्महु महु महु वि असज्झु रणे अज्जु वि रावणु णउ मुउ जें गणें ॥२ 'भय-भावि-भाणु-भा-भासुरेण जसु दिण्णु सूलु चमरासुरेण ॥ ३ सो महुर-णराहिउ केण जिउ फणवइहें फणामणि केण हिउ ॥४ तुहुँ अज्जु वि वालु कालु कवणु- तियसहु मि भयङ्करु होइ रणु ॥५ दुद्दम-दणु-देह-वियारणहुँ किह अङ्गु समोडहि पहरणहुँ' ॥६ 9 PS होइवि. 2. 1 P SA अणुरत्त पयह°, P मणुरत्त पयइ. 2 P S A °तिविः. 3 P notes a variant सीराउहेण. 4 P S A 'इ. 3. 1 A omits the portion °राहिउ to रणु (5 b). 2 P s °हु. ५ आदित्यचंद्रौ विघृष्टितानि (१): ६ श्रीरामः. ७ कथयति. ८ नीत्या, '' न्यायेन. ९ दशांशेन. [२] १ पुनः. २ T दोहलीभूमिदानं. ३ स्थापयित्वा. [३] १ क्षयकालोत्पन्नादित्यः. २ भावनेंद्रेण. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy