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________________ १९४] सयम्भुकिङ पउमचरिउ विक्कम-णय - विणय-पसाहिएण थि भरहु महारिसि - रूवु लेवि तहिं जुबइ- सऍहिँ सहुँ केकया वि • सो तिजगविहसणु मरेंवि गाउ' भराहिवो वि उप्पर्णं- णाणु अहिसित्तु रामु विज्जाहरेहिँ ल-णील-विही सण- अङ्गए हिँ चन्दोयरसुय-जम्वुण्णएहिं 10 15 कञ्चण-कलसेंहिँ अहिसेउ किउ । व पट्ट रहु-णन्दणहों लक्खणु चक्क-रण-सहिउ धर स-धर सई' भु अन्तु थिउ ॥ ९ * रहुवइ रज्जु करन्तु थिउ दिण्ण विहङ्गेवि सयल महि वसुमइति खण्ड-मण्डिय हरिहें ' ar-are-anus -पवरु ससि-फलिह-लिहि-जस - सासणहों 20 वेण भङ्गहों भड-चूडामणिहें' रहणेर - पुरु भामण्डल हों 'माहिन्दि महिन्दहों दुज्जयहों [ ८०. असीइमो संधि ] [१४] १ साधिकेन. [१] १ जीवनवृतिरूपं. [ १४ ] सामन्त-सहा 'साहिएण ॥ १ मणि रयणाहरणइँ परिहरेवि ॥ २ थिय केसुप्पाडु करेवि सा वि ॥ ३ वहुत्तरे सगे सुरिन्दु जाउ ॥ ४ वहु-दिवसेंहिँ गज लोगावसाणु ॥ ५ • भामण्डल - किक्किन्धेस रेहिं ॥ ६ दहिमुह-मंहिन्द-पवणङ्गएहिं ॥ ७ अवरेहि मि भर्डेहिँ सउण्णएहिं ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ Jain Education International MA a [ क० १४, १–९, १, १-६ 14. 1 P $ A °हि. 2 After this Pāda s marginally : वय पालेवि खीणु करेवि 3 PSA . 4A सहुं. 5 PS 6 PS काउ । सेच्छ (?) परिहरेवि महाणुभाउ . णु. 7PA सह, s सयं. 1. 1 P s°हु, A°हो. 2Ps हो. 3PSA ° हो. जस corrected as जय' 7 Ps° हो, A °हि. 8 P गउ भरहु तवोवणु । सामन्तहुँ' 'जीवणु ॥ [१] पायाललङ्क चन्दोयरिहें ॥ १ arita गिरि - किक्किन्ध-पुरु ॥ २ लङ्काउरि अचल विही सणहों ॥ ३ सिरिपव्वय-मण्डलु पावणिहें ॥ ४ कइ-दीव दिण्णु णीलों णलहों ॥ आइच-णयरु पवणञ्जयों ॥ ६ 4 Ps सपउरु पुरु. 5s वर. 6 P ° हे corrected a °हि, s A हि. 2 २ हनुमंत विशेषणं. ३ श्री पर्वतः । देस - नामेदं. For Private & Personal Use Only C ४ महेंद्रपुरी. www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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