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१९२] सयम्भुकिउ पउमचरित
०,१-९,११,१-१०
[१०] जं आएसु दिण्णु वर-विलयहुँ जाणइ-पमुहहुँ गुण-गण-णिलयहुँ ॥१ णह-मणि-किरण-करालिय-गयणहुँ रमणावासावासिय-मयणहुँ॥२
थण-गयउर-पेल्लाविय-जोहहुँ रूवोहामिय-सुरवहु-सोहहुँ॥३ । सयल-कला-कलावं-कल-कुसलहुँ मुह-मारुअ-मेलाविय-भसलहुँ ॥ ४
भउह-सरासण-लोयण-वाणहुँ केस-णिवन्धण-जिय-गिब्याणहुँ ॥ ५ विभाडिय-चम्मह-सोहग्गहुँ लावण्णम्भ-भरिय-पुरि-मग्गहुँ ॥ ६ तो कल्लाणमाल-वणमालहिँ गुणवइ-गुणमहग्ध-गुणमालहिँ ॥ ७ सल्ल-विसल्लासुन्दरि-सीयहिँ वजयण्ण-सीहोयर-धीयहिँ ॥८
॥ घत्ता॥ वुच्चइ भरह-णराहिवइ 'सर-मज्झें तरन्त-तरन्ताई। देवर थोडी वार वरि _ अच्छहुँ जल-कील करन्ताई ॥९
[११] तं पडिवण्णु पइड महा-सरु जल-कीलहें वि अचलु परमेसरु ॥१ is लग्गउ सुन्दरीउ चउ-पासेंहिँ गाढालिङ्गण-चुम्वण-हासेंहिँ ॥२ हेला-हाव-भाव-विण्णासेंहिँ 'किलिकिञ्चिय-विच्छित्ति-विलासहिँ ॥ ३ मोहाविय-कोट्टमिय-वियारहिँ विब्भम-वर-विव्वोक्क-पयारेहिँ ॥४ तो वि ण खुहिउ भरहु सहसुटिउ अविचलु णं गिरि मेरु परिट्ठिउ ॥५
अच्छइ जाव तीरें सुह-दसणु ताव महा-गउ तिजगविहूसणु ॥ ६ 20 णिय-आलाण-खम्भु उप्पा.वि मन्दिर-सय अणेयइँ पाडेंवि ॥ ७
परिभमन्तु गउ तं जे महा-सरु भरहु णिएवि जाउ जाई-सरु ॥४ 'परम-मित्तु इहु अण्ण-भवन्तरें णिवसिय सग्गे वे वि वम्भोत्तरें ॥९
॥त्ता॥ पुण्ण-पहावें सम्भविउ इहु णरवइ हउँ पुणु मत्त-गउ'। 25 कवलु ण लेइ ण पियइ जलु अत्थक्कएँ थिउ लेप्पमउ ॥ १०
10. 1 P 8 °हं, A °ह. PS °वासियवासा, ' °वासियसासय'. 3 A गयपेल्लावियउ. 4 P °कय°. 5 P S A मेल्ला. 6 P SA °हु. 7 P S लायण.
11. 1 PS 'कुट्टमिय', A °कुट्टिम्मि. 2 PS °क. 3 After this Ps read an extra Pada : जलकीलए (s °इ) जहि भरहु गरेसरु. 4 P S संभरमि.. [१०] १ कटीतटावासितनिश्चलमदनानां. २ समूह. । [११] १ विपरीतसूरतभेदैरिव. २. बलात्कारेण यत्सुरतं तदिव. ३ आकस्मिकम्वि.
पुण्ण
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