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क०७,८८,१-९
उत्तरकण्ड-एकूणासीमो संधि [१९१
॥ घत्ता
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'ते रह ते गृय ते तुरय ते मिलिय स-किङ्कर भाइ-णर । ताउ 'जणेरिउ सो जि हउँ पर ताउ ण दीसइ एकु पर ॥८
. [८] जिह ण ताउ तिह हउ मि कालें पर 'वामोहिउ मोहण-जालें ॥१ ॥ रज्जु धिगत्थु धिगत्थई छत्त.. घरु परियणु धणु पुत्त-कलत्तइँ॥२ धण्णउ ताउ जेण परिहरियइँ दुग्गइ-गामियाइँ दुचरियइँ ॥३ हउँ पुणु कु-पुरिसु दुग्णय-वन्तउ अज्ज वि अच्छमि विसयासत्तउ' ॥४ मुणिहें पासें चिरु लइउ अवग्गहु 'रामागमणे होमि अ-परिग्गहु ॥ ५ जहिँ जे दिवसें तिण्णि वि णिविट्ठई जहिँ जे दिवसे णिय-णयरें पट्टई ॥ ६ ॥ तहिँ जे काले जं ण गउ तवोवणु मं वोल्लेसइ को इ अ-सज्जणु ॥७ "दुट्ट'-सहाउ कसाएं लइयंउ रामागमें जि भरहु पव्वइयउ" ॥८
॥ घत्ता ॥ अग्ग-महिसि करें जणय-सुय मन्तित्तणु देवि जणदणहाँ। अप्पुणु पालहि सयल महि .हउँ रहुवइ जामि तवोवणहाँ ॥ ९ ॥
[९] ताएं कवणु सच्चु किर जम्पिउ तुम्हहँ वणु महु रज्जु समप्पिउ ॥१ तहाँ अविणयों सुद्धि पर मरणे अहवइ घोर-वीर-तव-चरणे ॥ २ तेण णिवित्ति भडारा रजहाँ एवहिँ जामि थामि पावजहों' ॥३ तो जिय-जाउहाण-सङ्गामें भरहु चवन्तु णिवारिउ रामें ॥४ ॥ 'अजु वि तुहुँ जे राउ ते किङ्कर ते गय ते तुरङ्ग ते रहवर ॥ ५ ते सामन्त अम्हें ते भायर सां समुद्द-परिअन्त-वसुन्धर ॥ ६ छत्तइँ ताइँ तं जे सिंहासणु तं चामीयर-चामर-वासणु ॥७ भामण्डलु सुग्गीवु विहीसणु · सयल वि तउ करन्ति घर पेसणु' ॥८
॥घत्ता ॥ एव वि जं अवहेरि किय चल-वलय-मुहल-कल-णेउरहों।
'जिह सक्कों तिह पडिखलहों' आएसु दिण्णु अन्तेउरहों ॥ ९ 8. 1 PS वम्मो०. 2 PS A °इ. 3 A °उं. 4 P S A पासि. 5 PS A °हि. 6 PSA . पय?. 7 PS दु. 8 P S A °मि. 9 देहि. 10 PS A हउ.
9. 1 PS एमहि, A एवहि. 28 सामि जामि. 3 P S A अम्हि. ४ मातरः. [९] १ राक्षस रावणादिक.
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