________________
१८८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १, ९,२, १-९,३,१-८
॥ घत्ता ॥ केकय-सुऍण णमन्तऍण सिरु रहुवइ-चलणन्तरें कियउ। दीसइ विहिँ रत्तुप्पलहँ णीलुप्पलु मज्झें णाई थियउ ॥९
[२] . . 5 जिह रामहों तिह णमिउ कुमारहों अन्तेउरहों 'पंघोलिर'हारहों ॥१
वलेण वलुद्धरेण हक्कारेंवि सरहस णिय-भुव-दण्ड पसारेवि ॥२ अवरुण्डिउ भायरु लहुवारउ .मत्थऍ चुम्विउ पुणु सर्य-वारउ ॥३ सय-वारउ उच्छङ्गे चडाविउ सय-वारउ भिच्चहुँदरिसाविउ ॥ ४ सय-वारउ दिण्णउ आसीसउ वरिस-सरिस-हरिसंसु-विमीसउ ॥ ५ ॥ 'भुञ्जि सहोयर रज्जु णिरङ्कसु णन्द वद्ध जय जीव चिराउसु ॥६
अच्छउ वीर-लच्छि भुव-दण्डएँ णिवसउ वसुह तुहारऍ खण्डएँ' ॥७ एम भणेवि पगासिय-णामें पुष्फ-विमाणे चडाविउ रामें ॥८
॥ घत्ता ॥ भरह-णराहिवु दासरहि लक्खणु वइदेहि णिविट्ठाई। धम्मु पुण्णु ववसाउ 'सिय णं मिलेवि अउज्झ पइट्ठाइँ ॥९
[३] · तूरइँ हयइँ णिणदिय-ति-जय णन्द-सुणन्द-भद्द-जय-विजय.॥ १
मेह-मइन्द-समुद्द-णिघोसइँ णन्दिघोस-जयघोस-सुघोसइँ ॥२ सिव-संजीवण-जीवणिणदइँ वद्धण-वद्धमाण-माहेन्दइँ ॥ ३ 20 सुन्दर-सन्ति-सोम-सङ्गीय णन्दावत्त-कण्ण-रमणीयइँ ॥४
गहिर-पसण्णइँ पुण्ण-पवित्त .'अवराइँ वि वहुविह-वाइत्तइँ ॥५ झल्लरि-भम्भा-भेरि-वमालइँ मद्दल-णन्दि-मउन्दा-तालइँ॥ ६ करडा-करडई(?) मउन्दा-ढक्कइँ काहलु-टिविल-ढक्क-पडिढक्कइँ ॥ ७ 'ढड्डिय-पणव-तणव-दडि-ददर डमरुअ-गुञ्जा-रुञ्जा वन्धुर ॥८ 5 A दीसंति हि. 6 P S A °हि. 7 PS A 'इ. 8 P थिअउ, s यियउ, A ठियउ.
2. 1 P °पहोलिर', S वरहोलिर. 2 P °वराउ. 3 P °वाराउ. 4 P °लियउ. 5 PSA मिलिवि.
3. 1 P S A °इ. 2 P S णिग्यो . 3 P जस. 4 Ps स.. 5 P जंजीवणि, s संजीवणि, A °संजीवणु. 6 P s °माहि. 7 P °करणई, s °करणइ. 8 P दड्डिअ°, s दड्डिय. [२] १ ' प्रकर्षेण घुलायमानहारस्य. २ वर्षासदृश. ३ ' हर्षाश्रु. ४ श्रीसीता च. [३] १ क्रियार्थाऽपि (8)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org