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क०३,९४,१-९,५,१-९]
उत्तरकण्डं-एकूणासीमो संघि [१८९
॥ पत्ता ॥ अट्ठारह अक्खोहणिउ रयणीयर-णयरहों आणियउ। अवरहुँ तूरहुँ तूरियहु कइ कोडिउ किं परियाणियउ ॥ ९
[४] जय-जय-कारु करन्तेंहिँ लोऍहिँ मङ्गल-धवलुच्छाह-पओऍहि ॥ १ । अइहव-सेसासीस-सहासेंहिं . तोरण-णिवह-छडा-विण्णा हिँ ॥२ दहि-दोवा-दप्पण-जल-कलसेंहिँ मोत्तिय-रङ्गावलि-णव-कणिसेंहिँ ॥३ वम्भण-वयणुग्घोसिय-वेऍहिँ . कण्डिय-'जजु-रिउ-सामा-भेऍहिँ ॥ ४ णड-कइ-कहय-छत्त-फम्फावेहि लविय-वत्तारुहण-विहाहिँ ॥५ भट्टैहिँ वयणुच्छाह पढन्तेहि वायालीस वि सर सुमरन्तेंहिँ ॥ ६ ॥ मल्लप्फोडण-सरेंहिँ विचित्तहिँ इन्दयाल-उप्पाइय-चित्तेहिँ ॥ ७ मन्द-फेन्द-वन्देहिँ कुद्दन्तेंहिँ डोम्वेहि वंसारुहणु करन्तेंहिँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ पुरें पइसन्तहों राहवहाँ ण कला-विण्णाणइँ केवलइँ। ... दुन्दुहि ताडिय सुरहिँ णहें अच्छरेंहि मि गीयइँ मङ्गलइँ ॥९ ॥
[५] पुरे पइसन्तै राम-णारायणे 'जाय वोल्ल वर-णायरिया-यणे ॥१ 'ऍहु सो रामु जासु विहि वीयउ दीसइ णहणावन्तु स-सीयउ ॥२ ऍह सो लक्खण लक्खणवन्तउ जेण दसाणणु णिहउ भिडन्तउ॥३ ऍहु सो वहिणि विहीसण-राणउँ 'सुवइ विणयवन्तु वहुजाण ॥४ ॥ ऍहु सो सहि सुग्गीवु सुणिजइ गिरि-किक्किन्ध-णयरु जो भुञ्जइ ॥५ ऍहु सो विजाहरु भामण्डलु णं सुर-सामिसालु आहण्डलु ॥ ६ ऍहु सो सहि णामेण विराहिउ दूसणु जेण महाहवे साहिउ ॥ ७ ऍहु सो हणुउ जेण वणु भग्गउ । रामों दिण्णु रज्जु आवग्गउ ॥८ जाम णयरु णाम-ग्गहणालउ तिण्णि वि ताव पइट्टइँ राउलु ॥ ९ . 25 9 A उं. 10 P °आणिउं.
4. 1 P जुरिच्चसम', S जजरिच्चसमभेयहि, A °सेएहिं. 2 S लखिय', A लक्खिय°. 3 PS °तारारुहणु. 4 A °फिंद. 5 P कुदेंतेहिं, s कुंदेंतेहि, कुद्धत्तेहिं. 6 s ण.
5. 1 PS णहि (s °हे) हेमंतु. 2 A °उ. 3 P A °उं. 4 P जसु छजइ, जसु भुंजइ. 5 PS आखंडलु. 6 P S °णाउरु. . [४] १ प्रयोगैः. २ (P's reading ) चंद्र इव दृष्टः. [५] १7 नागरिकाजने वार्ता जाता. २ श्रूयते. ३ समस्तं स्वाधीनं वा.
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