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१८०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०६, १-९,७,१-९
[६] जइ जामि आसि परिचत्त-भय तो सहुँ हणुवन्तें किण्ण गय ॥१ विणु णिय-भत्तारें जन्तियहें कुलहरु में पिसुणु कुलउत्तियहें ॥ २
पुरिसहुँ चित्तइँ आसीविसइँ अलहन्त वि उद्दिसन्ति मिसइँ ॥ ३ 5 वीसासु जन्ति णउ इयरहु मि सुय-देवर-भायर-पियरहु मि' ॥४ तं वयणु सुणेवि महासइहें गउ पासु विहीसणु रहुवइहें ॥ ५ "अहो अहाँ परमेसर दासरहि मच्छऍ लङ्काउरि पइसरहि ॥ ६ मिलि ताव भडारा जाणइहे तर दुत्तर-विरह-महाणइहें ॥ ७ चडु तिजगविहूसण-कुम्भयले मय-परिमल-मेलाविय-भसलें'॥८
॥ घत्ता॥ तं णिसुणवि हलहरु चकहरु सीयहें पासे समुच्चलिय।' अहिसेय-समऍ सिरि-देवयहें दिग्गय विण्णि णाई' मिलिय ॥ ९
[७] वइदेहि दिट्ट हरि-हलहरेंहिँ णं चन्दलेह 'विहिँ जलहरेंहिँ ॥१ 15 णं सरय-लच्छि पङ्कय-सरेंहिँ णं पुण्णिम विहिँ पक्खन्तहिँ ॥२
णं सुर-सरि हिमगिरि-सायरहिँ णं णह-सिरि चन्द-दिवायरॅहिँ ॥ ३ परिपुण्ण मणोरह जाणइहें तरइ व लायण्ण-महाणइहें ॥ ४ णिय-णयण-सरासणि सन्धइ व पिउ पगुण-गुणेहिँ णिवन्धइ व ॥ ५
जस-कद्दमें णं जगु लिम्पइ व हरिसंसु-पवाहें सिप्पड व ॥ ६ 20 विजेइ व करयल-पल्लवेंहिँ अच्चेई व णह-कुसमेंहिँ णवेहिँ ॥ ७ पइसरइ व हियऍ हलाउहहों करइ व उज्जोउ दिसामुहहों ॥८
|| घत्ता ॥ 'मेहलिऍ मिलन्तहाँ रहुवइहें 'सुहु उप्पण्ण जेत्तडउ । इन्दाँ इन्दत्तणु पत्तहों होज ण होज व तेत्तडउ ॥ ९
6. 1 P S A °इ. 2 PS A दुत्तर. 7. 1 P S A हि. 2 P पुन्नए, S पुण्णइ. 3 A सिंचइ. 4 P अंचेइ. 5A उं.
[६] १ नरप्रधान. [७] १ समुद्रयुग्मेण (१). २ : हर्षाचप्रवाहेन, ३ सीतायाः,
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