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क० ८, १–९; ९, १–९ ]
स- कलत्तर लक्खणु पंणय-सिरु 'जं कि खर- दूसण - तिसिर- वहु जं सत्ति पडिच्छिय समर- मुहें.
जं रणे उप्पण्णु चक्क - रयणु• तं देवि पसाएं तर तण हवाय सिक्खणण जिह सयल विणिय- णिय-वाहिँ थिय जय-मङ्गल तूरइँ ताडियेई
पइसन्तहँ वल-णारायणहँ णं सुरहुँ घरन्त-घरंन्ताहुँ
पइसन्तें वल-णारायण 'ऍहु सुन्दरि सोक्खुप्पायणहों ऍ लक्खणु लक्खण- लक्ख-धरु ऍहु भामण्डलु 'भा-भूस-भुङ ऍहु किन्धाहि दुहरिसु ऍहु अङ्ग जेण मणोहरिहें ऍहु सुरवइ-कर-कर-पवर-भुउ हुकुर विराहिडे णी णलु
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तहिं का लङ्क पइसन्ताहोंसो अमराउरि भुञ्जता
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[८] १ सतीत्वेन २ जोकारं. [९] १ वार्ता परस्परं कथयति. •
५ सुग्रीवः चन्द्रसमानः,
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उत्तरकण्ड - अट्ठसत्तरिमो संधि [१८१
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पणइ जलहर - गम्भीर - गिरु ॥ १ जं हंसदीवें जिउ हंसरहु ॥ २ जं लग्ग विसल करम्बुरुहें ॥ ३ जं हिउ वलुद्धरु दहवयणु ॥ ४
कुल धवलिङ जाऍ संइत्तण' ॥ ५ सुग्गीव- पमुह - णरवरहिँ तिह ॥ ६ पर-पुर-पवेस - सामग्गि किय ॥ ७ 'रि-घरिणिहिँ चित्त पाडियाँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥
rea मणोरु आवडिउ । तुझेंवि सग्ग-खण्डु पडिउ ॥ ९
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'चव चालिय णायरियाणर्णेण ॥ १ अहिराम राम रामायणों ॥ २ जूरावण - रावण- पलय-करु || ३ वइदेहि सहयरु जणय-सुउ ॥ ४ 'तारावइ तारावइ - सरिसु ॥ ५ केसग्गहु किउ मन्दोयरिहें ॥ ६ णन्दण-वण-मद्दणु पवण-सुउ ॥ ७
ऍहु व गवक्खु सङ्खु पवलु' ॥ ८
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॥ घत्ता ॥
8. 1 s A थिउ. 2 P ° आई, S°याइ, A °याई. 3 P°आइ, S °याइ, A आई. 4 Ps मोहु. 5 Ps.
91A. 2Ps संख. 3 P पसंतहो, S पईसंत हो. 4 PSA भुंजंतहो.
परम रिद्धि जा हलहरहों । होज्ज ण होज्ज पुरन्दरहों ॥ ९
२ मनोज्ञः
१३ स्त्रीजनस्य,
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४ दीया भूषितभुजः.
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