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क० ४, ३- ९ : ५, १-९ ]
एकेक' 'तिणि तिंण्णि समय ताहँ' वि उप्पण्ण सट्ठि तय एक्केको' विष्णि कलत्ताइँ एकेकहों तहिँ छच्छङ्गरुह एक त विधवल - कसण एकेकहों तहिं "वि पाण-पियड
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ऍहु" परियणु काल-भुअङ्गमहों
अवरु गवि " सक्कियर |
सो तेहउ तिहुअणें को विण वि जो ण वि आएं डङ्कियै ॥ ९
[५]
तं णिसुर्णेवि कुण- रसब्भुइय मय-कुम्भयण्ण-मारिच्चि तिह सहसत्ति जाय सीलाहरण मन्दोयरि वय-गुण-वन्तियहें 'णिक्खन्त समउ अन्तेउरेंण पव्वइउ को वि पव्वइउ ण वि रवि उ विहीणु गयउ तहिँ' आहरण वत्थइँ ढोइयइँ
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उत्तरकण्डं - अट्टसन्तरिम संधि [१७९
सु-दु-पढम - समुत्तर - णाम जय || ३ संवच्छर-णाम पसिद्धि गय ॥ ४ अयइँ णामेण पहुत्ताइँ ॥ ५ फग्गुण-अवसान' चेत्त-मुह ॥ ६ उप्पण्ण पुत्त दुइ दुइ जे जण ॥ ७ पण्णारह पण्णारह तियउ ॥ ८
॥ घत्ता- ॥
इन्दइ- घणवाहण पव्वश्य ॥ १ अवर वि रिन्द अमरिन्द - हि ॥ २ आयास वास कर पीवरण ॥ ३ कन्ति पार्सेससिकन्तियहें ॥ ४ साहरणोत्तारिय- णेउरेंण ॥ ५
ण णाइँ णिहालउ आउ रवि ॥ ६ नन्दण-वर्णे जैणयों तणय जहिँ ॥ ७ वइदेहिऍ ताइँ ण जोइयइँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥
'मलु केवलु आयइँ सव्वइ मि यि पहें मिलन्ति कुल बहुहें
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जइ मणें मलिणु मणम्मणउ' ।
सीलु जि होइ पसाहणउ ॥ ९
5s °हि, A°ए. 6s A ताह. 7s हि. 8PSA°णु. 9PSA °हि. 10 P एउ, 3 यउ. 11 Ps किं. 12 A खंडियउ.
5. 1P SA तहि. 24°उं.
२ T षट् समयः . ३ । अत्र यथासङ्ख्येन त्रयः सुशब्दपूर्वास्त्रयो दुशब्दपूर्वा एवमेते षडपि दुः (?) खमाशब्दोत्तरस्तद् यथा । सुखमसुखमा । सुखमा । सुखमदुःखमा । दुःखमसुखमा । दुःखमा । दुःखमदुःखमा. ४ तदाह । प्रभग, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृष, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, व्यय, सर्वजित्, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलंब, विलंबी, विकारी, सर्वधारी, प्लवंग, सुमिक्ष, शोभन, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्रलंब, कीलक, सौम्य, साधारण विरोध, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्र, दुर्मति, दुंदुभि, रुधिरोद्गारी, रक्ताक्ष, क्रोधन, क्षय । इत षष्टिपुत्र्यः ५ उत्तरदक्षिणायनौ.
[५] १ वस्त्र. २ दीक्षिता. ३ सीता.
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