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________________ १७४] सयम्भुकिङ पउमचरिउ अणु विपवण- पुत्तु जस-लुद्धउ भामण्डलु सुग्गी सहत्थें to वि कुम्भणु किं धरियर्ड तहिँ अवसरें जं तेण वियम्भिउ s अण्णु विमारुइ आवइ पाविउ ते विणि अणिलाणल-सरिसा वद्धा किण्ण हुन्ति मणि उज्जल वृद्धा कव्वाला भडारा 10 15 20 आयहुँ हत्थे एउ ण जाणहुँ 'तं णिसुणेवि हली सें 'लक्खण-संमु किय-पेणु विणयवन्तु अच्चन्त-सणेहंउ जेण समाणु रोसु सो हम्मइ अव किं करन्ति ते कुद्धा उक्खय-दन्त मत्त मायङ्ग व हर पहर परिहीण मइन्द व लद्धाएस पधाइय किङ्कर पण ते असेस वि राणा लक्खण- रामहुँ' पासु पराणिय [ क० १६, २- १०, १७, १-९ सो विणा वासेहिं विद्धउ ॥ २ वद्ध ते वि तेण जिं दिव्वत्थें ॥ ३ जइयहुँ सण्णहेवि णीसरियउं ॥ ४ किor विलुसलुवि धम्भिउ ॥ ५ तारा - सुऍण दुक्खु छोडाविउ ॥ ६ केण पडिच्छय वृद्धामरिसा ॥ ७ वृद्धा म मुअन्ति किं मयगल ॥ ८ किण्ण हुँन्ति जणवऍ गुरुआरा ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ भाइ- वइरु परिअšवि भीसणु । काइँ करेसइ छेऍ विहीसणु ' ॥ १० www Jain Education International [ १७ ] बुच्च विहुणिय-सीसें । विess केम विहीणु ॥ १ अणु विखत्तिय - मग्गु ण एहउ ॥ २ 'असें हुँ अवसाणु ण गम्मइ ॥ ३ भग्ग-मडप्फर संसऍ छुद्धा ॥ ४ दादुपाडिय पवर भुवङ्ग व ॥ ५ उष्णइ भग्ग महीहर-विन्द व' ॥ ६ उक्खय-पहरण- णियर-भयङ्कर ॥ ७ दुम्मण दीण णिरुण्णय- माणा ॥ ८ सहुँ अन्तेउरेण सरे हाणिय ॥ ९ 24 उं. 3 A होति. 4s A च्छेइ. 17. 1 reads दुबई in the beginning. 2 A सणाहउ. 3 A सेसु. 48 सहु, A पहु. 5s°रु. 6 s°हु, A°हो. 7 After this pādas has the following extra passage :. दुम्मण पेच्छेवि रामें भाणिया । TS लङ्केसरु णियअवराहें वृद्धा सोहहि गयवरदंतइ करे कंकण चामीयरघडियइ सोहइ जलु वरवरणिहि वद्धउ सोहइ वह वद्धु मुणिचित्तु व रायप विमत्थइ कद्वउ जिह सइचित्तु सुकाहणिवद्धउ तुम्हई सोह दिंति वद्धाहिं ॥ raaहुवर जिह पेमणिव || सोह दिंति हीरामणिजडियइ ॥ सोet rog सुइयविद्वउ ॥ मुट्ठिहि कर असि दिप्पंतु व ॥ वरु सोहइ सेहरहं णिव ॥ भडु तिह सोहइ रामहि वडउ ॥ इय भणेवि परमें सम्मानिय ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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