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१७२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० : ?, ७-१०; १३, १-१२, १४, १-३ तिहुयण-जण-संतावण-सीलइँ तियस-विन्द-कन्दावण-लीलइँ ॥७ कम्पाविय-दस-दिसिवह-मग्गइँ सयलागम-अवसांण-वलग्ग॥८ ताइँ मुहइँ अञ्चन्त-वियड्डइँ णिविसे सुण्णहराइँ व दड्डइँ ॥ ९
॥ घत्ता ॥ । जाइँ विसाल
तरलइँ तारइँ मुद्ध-सहाव। विहि-परिणामेण णयणइँ ताइँ कियइँ मसिभावइँ ॥ १०
[१३] 'जे कुण्डल-मणि-मण्डिया सयलागम-परिचड्डिया।
ते कण्णाऽ'णल-घोलिया वल्लूरों व पओलिया ॥ १ " जाइ जिणिन्द-पाय-पणमिल्लइँ सेहर-मउड-पट्ट-सोहिल्लइँ ॥२
अञ्जण-गिरि-सिहरुण्णय-माणइँ सजल-बैलाहय-दुग्ग-समाण ॥ ३ कण्ण-कुण्डलुज्जल-गण्डयलइँ अमि-यन्द-रुन्द-भालयलई॥४ सयल-काल (?)रणे भिउडि-करालइँ भङ्गुर-कसण-लोल-भउहालइँ ॥५
जम-णाराय-पईहर-णयण दसणावलि-दहाहर-वयणइँ॥६ । ताइँ सिर सय-कुन्तल-केस. कियइँ खणन्तरेण मसि-सेसइँ ॥ ७ धुय-परिहउ परिपुण्ण-मणोरहु सव्व-भूउ समजाली(?)हुअवहु ॥८ जो सुरवरहँ आसि अवहरियउ सो रावणु तेउ व णीसरियउ ॥ ९ सीया-सावग्गि व णिव्वडियउ लक्खण-कोवग्गि व पायडियउ ॥ १० सेस-विसग्गि व दूरुच्छलियउ वसुमइ-हियय-पएसु व जलियउ ॥ ११
॥घत्ता ॥ सुरवर-डामरु
रावणु दड्डु जासु जगु कम्पइ । 'अण्णु कहिँ महुँ चुक्कई' एव गाइँ सिहि जम्पइ ॥ १२
[१४] 'रे रे जण णीसारउ विट्टलु खलु संसारउ ।
दरिसिय-णाणावत्थडे दुक्खावासु वि गत्थडे ॥ १ जहिं उद्धृन्ति महीहर वाएं तहिँ किं गहणु रेणु-संघाएं ॥२ जहिँ जलणेण जलन्ति जलाई वि तहिँ तिणो? किं चुक्कइ काइँ वि ॥ ३
13. 1 s reads दुवई in the beginning. 2 3 °री. 3 SA इ. 4 A रुणिय. 5A अ. 6 30. °तासअरु. 7 se. मग्गइ. 8 SA णाइ. 50. पवणोइ. ... 14.15 °इ. 2 A °हि. 3 s A °इ. 4 s तिणाह..
[१३] ' १ अमिदग्धाः. २ प्रमाणानि. ३ मेघाः. ४ सा(शा)पामिः.
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