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क० १०, ८-१०, ११, १-१०; १२४.१-६] जुज्झकण्डं-सत्तसत्तरिमो संधि [१७१ जे अमरिन्द-दप्प-ओहँट्टण वरुण-णराहिव-वल-दलवट्टण ॥८ जे वहुरूविणि-विजाराहण दूरोसारिय-वाणर-साहण ॥ ९
॥ घत्ता ॥ जे स-सुरासुर
जग-जूरावण जिह जम-दूवा । ते णिविसद्धेण
वीस' वि वाहु-दण्ड मसिहूया ॥ १० ।
[११] दसकन्धर-संदीवउ पाइँ णिएइ पडीवउ ।
किं दहगीवहाँ गीवउ णिजीवाउ सजीवउ ॥ १ सो जें जीउ कण्ठ-द्विउ णावइ णावइ दह-मुहेहिं वीहावइ ॥२ जेहउ वाल-भावे पढमुब्भवें णव-गह-कण्ठाहरण-समुब्भवे ॥ ३ जेहउ विज-सहस्साराहणे. जेहउ चन्दहास-असि-साहणे ॥४ जेहउ मन्दोयरि-पाणिग्गहें जेहउ सुरसुन्दरे-वन्दिग्गहें ।। ५ जेहउ कणय-धणय-ओसारणे जेहउ जम-गइन्द-विणिवारणे ॥ ६ जेहउ अट्ठावय-कम्पावणे जेहउ सहसकिरण-जूरावणे ॥ ७ जेहउ णलकुव्वर-वल-महणे जेहउ सक-सुहड-कडमद्दण ॥८ जेहउ वरुण-णराहिव-साहणे जेहउ वहुरूविणि-आराहणे ॥ ९
॥ पत्ता॥ तेहउँ एवहि
होइ ण होइ व किह मुह-राउ । आएं कोडेण हुअवहु णाई णिहालउ आउ ॥ १०
[१२] 'क्यणु णियन्तु हुआसउ वडिउ जाल-सहासउ ।
लग्गु मुहॅहिँ विसत्थउ णाई विलासिणि-सत्थउ ॥ १ गउ सरहसु दहेवि दह वयण गहकल्लोलु व दस-ससि-गहणइँ ॥२ जा. वहल-तम्बोलायम्वइँ फग्गुण-तरुण-तरणि-पडिविम्बई ॥३ दसण-च्छवि-किय-विजु-विलास. मलयाणिल-सुअन्ध-णीसास.॥४ मुद्ध-पुरन्धि-पीय-अहर-दलइँ भोयण-खाण-पाण-रस-कुसलइँ ॥५ रऍ रणे दाणे वद्ध-अणुरायइँ जिय-सुर-'छाया-वडिय-छाय. ॥ ६ 4 s °अह°, A °उह°. 5 9 °णु. 6 s °दूया. 7 Wanting in s.
11. 1 SA'इ. 2 5A वि. 3 s °रि. 4 5 वणगयजमवि. 5A . . 12. 1 $ reads दुवई in the beginning. 2 S A °इ. 3 A °यलई. 4 s रणदाण. [१२] १ ९ माहात्म्य.
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