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________________ 5 दस - दिसि वह मइलन्तु पधाइउ धूम-मझें धूम धावई पढम ( १ ) पएहिँ लग्गु अकुलीणु जे रवर- चूडामणि- चुम्बिय ते कम-कमल कन्ति-परियड्डा 'जं सुकलत्त- 'कलतेहिं र 1. सीहा सण - पलङ्केहिँ ठन्तर तं णियम् जलन विहंत्तिउ जं कइलास-कूर्ड अवरुण्डणु जं मोतियमालालङ्करियड १७० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 'ताव णिरन्तरु णीलउ अन्धारिय-ह-मग्गउ 15 10 जं "रत्तिंदि असन्तेण व MAM 'जे भुवणा हिन्दोलणा सुर-सिन्धुर-कर- वन्धुरा 20 जे थिर थोर पलम्व पईहर जे वालत्तणें वालक्कीलऍ जे गन्धव्व-वावि-अ -आडुम्भण जे वसवण - रिद्धि-विभाडण जे जम दण्ड- चण्ड- उद्दालण जे 25 सहसयर - मडप्फर-भञ्जण Jain Education International [ ० ९, १- १२, १०, १–७ [९] उ धूमुप्पीलउ । रावण - अयसु वणिग्गर ॥ १ जिह अकुलीणउ कहि मिण माइउ || २ विज्जु-वलउ जलअन्तरें णावइ ॥ ३ व पच्छऍ उपरें चडिउ णिहीणु व ॥ ४ जहँ हिँ रवि-ससि पडिविधिय ॥ ५ सिहि-खलेण सुयणा इव दड्ढा ॥ ६ 'रह-गय-तुरय-विमाहिं जन्त ॥ ७ रसणा-किङ्किण-मुहलिजन्तउ ॥ ८ तक्ख छारों पुञ्जु परत्तिउ ॥ ९ जं कामिणि-पण-त्थण चडुणु ॥ १० 'णं गयणङ्गणु तारा- भरियउ ॥ ११ ॥ घत्ता ॥ सी-विरहाणल - जाल डेउ । तं पहु-हिय हुआ हैंउ ॥ १२ [१०] वइरि-समुह - विरोलणा । परियड्डिय-रण-भर-धुरा ॥ १ सुहि-मम्भीस वीस-पहरण-धर ॥ २ पण्णय- -मुहहिँ छुहन्तर लीलऍ ॥ ३ सुरसुन्दर वुह कणय- णिसुम्भण ॥ ४ तिजगविहू सण-गय-मय- साडण ॥ ५ स- वसुन्धर कइला सुच्चालण ॥ ६ लकुव्वर - गेहिणि-मण-रञ्जण ॥ ७ 6 9. 1s दुबई । ताव गिरंवर. 2 A जह. 3 s धायउ. 4 s जो. 5 A लड्उ. Before this pāda A has an extra pāda: तं सिहि-दुजगेण लहु खद्वउ. 7 A विहि°. 8s कूडू, A ° कूडु. 9 This pāda is wanting in A. 10 sA रत्ति ससीया. 12s ° लादढउ, 4 लड्डु 13s अलसंतें जयवंतें. 11 s A 14 A दड्ढ. ७ 10. 1 s reads दुबई in the beginning. 2s °. 3 A° बहु . ง [९] १ नितंबिनीभिः. For Private & Personal Use Only V www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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