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क०७,२-११;८,१-१२]
जुज्झकण्ड-सत्तसत्तरिमो संधि [१६९ वार-चार णिवडइ णिच्चेयणु वार-वार उभियइ स-वेयणु ॥२ वार-वार उम्मुहु धाहावइ छिजमाणु सजिणि-उलु णावइ ॥ ३ अन्तेउर-अणुमरणासङ्कएँ चिन्धइँ कम्पन्ति व अणुकम्पऍ ॥ ४ छत्त' एम भणन्ति वराया 'पइँ विणु कासु करेसहुँ छाया' ॥ ५ तूरहिँ एम णाइँ घोसिज्जइ. 'पइँ विणु कासु पासें वजिजई' ॥ ६ ॥ 'को जुप्पेसइ रण-भर-लुक्खेंहिँ एव णाइँ धाहाविउ सङ्केहि ॥ ७ तहिँ अवसरे तज्जोणि-विणासणु सीयासोउ व दिपणें हुआसणु ॥ ८ सहसा उप्पर चडेवि' ण सक्कई __कम्पइ तसइ ल्हसइ णं झुलुक्कइ ॥ ९ 'सगिरि-ससायर-महि-कम्पावणु मा पुणो वि जीवेसइ रावणु' ॥ १०
॥ घत्ता ॥ पुणु वि पडीवउ चिन्तइ एव णाइँ धूमद्धउ । 'काइँ दहेसमि "एयहाँ जो अयसेण जि दड्डउ' ॥ ११
[८] तहिँ अवसरें दुक्खाउरु लङ्काहिव-अन्तेउरु ।
मइलिय-वयण-सरोरुहु .णिउ सलिलहों सवडम्मुहु ॥ १. गयइँ कलत्तइँ जम्मन्तर व तूर-सहासइँ सुइणन्तरइँ व ॥२ सङ्ख णियन्त(?)रुऍवि सयणा इव किङ्कर लद्ध-फलइँ सउणा इव ॥ ३ वन्दिण दाण-भोगणवहा इव वन्धव णव-जोवण-दियहा इव ॥ ४ रयण-णिहाण-धरत्ति-तिखण्डइँ चमरइँ चिन्धइँ धयइँ स-दण्डइँ ॥ ५ लङ्काउरि-सीहासण-छत्तइँ छड्डेवि थियइँ णाइँ दु-कलत्तइँ ॥ ६ ॥ गय गय गय जि ण दिट्ठ पडीवा हय हय हय जि ण हूय स-जीवा ॥ ७ रह रह रह रहेवि थिय दूरें को दीसइ अत्थमिएं सूरें ॥८ तहिँ अवसर परितुद्र-पहिट्ठ एव चवन्ति व चन्दण-कट्टई॥९ 'जाहँ पसाय तहँ एकेण वि तुम्हावसरु ण सारिउ केण वि ॥ १० सामिय अम्हें जइ वि पइँ घट्टइँ गणियइँ जणहों मज्झें अइ कट्टई ॥११ 25
॥ घत्ता ॥ जइ वि स-हत्थेंण ण किउ आसि गरुयउ सम्माणु।
तो वि डहेबउ हुयवहें पइँ समाणु अप्पाणु' ॥ १२ . 3 s उजि. 4 SA °रु. 5A चिंत्तइं. 6 A °इ. 7s तज्जेणि. 8 दितु. 9 s A चडिवि.. 10 s A न. 11 s एयहु, ४ पियहो..
8. 1 s prefixes दुबई. 23 °पवि. 3 A अम्ह. 4 A °वउ. 5A °वहेण. [७] १ कष्टानि (? काष्ठानि ). २ सापमिव. sion :०च०२२
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