________________
१६६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० २,५-१०, ३, १-१० 'सव्वंसह वि सहेवि ण सक्का अहों अण्णाउ भणन्ति ण थक्कइ ॥५ वेवइ वाहिणि किं मइँ सोसहि धाहावई खज्जन्ती ओसहि ॥ ६ छिजमाण वणसइ उग्धोसई कइयहुँ मरणु णिरासहों होसइ ॥ ७
पवणु ण भिडइ भाणु कर खञ्चइ धणु राउल -चोरग्गिहुँ सञ्चइ ॥ ८ 5 विन्धइ कण्टेहिँ दुव्वयणेहि विस-रुक्खु व मण्णिजइ सयऎहिँ ॥९
॥ घत्ता ॥ धम्म-विहूणउ" पाव-पिण्डु अणिहालिय-थामु। सो रोवेवउ
जासु महिस-विस-मेसहिँ णामु ॥ १०
[३] एयहाँ अखलिय-माणहों दिण्ण-णिरन्तर-दाणहाँ
पूरिय-पणइणि-आसहों रोवहि का दसासों ॥१ रोवहि किं तिहुअण-वसियरणउ किय-णिसियर-वंस द्धरणउ ॥२ रोवहि किय-कुवेर-विभाडणु किय-जम-महिस-सिङ्ग-उप्पाडणु॥३ रोवहि किय-कइलासुद्धारणु सहसकिरण -णलकुबर-वारणु ॥ ४ 8 रोवहि किय-सुरवइ-भुव-वन्धणु किय-अइरावय-दप्प-णिसुम्भणु ॥ ५ रोवहि किय-दिणयर-रह-मोडणु किय-ससि-केसरि-केसर-तोडणु ॥ ६ रोवहि किय-फणिमणि-उद्दालणु किय-वरुणाहिमाण-संचालणु ॥ ७ रोवहि किह णिहि-रयणुप्पायणु किय-रयणियर-णियर-अप्पायणु ॥ ८ रोवहि किर्य-वहुरूविणि साहणु किय-दारुण-दूसह-समैरङ्गणु ॥ ९
॥ घत्ता
॥
थिय अजरामर सय-सय-वारउ
भुवण-पसिद्धि परिट्ठिय जासु। रोवहि काइँ विहीसण तासु' ॥ १०
5 P सोहहि, A किमिइ सासहि. 6 PS हि. 7 P°हि. 8 यहु, s °यहो, A °हुं. 9 P राउलु, A रावल. 10 PS मे. 11 P° उं.
3. 1 Ps दिण्णु. 2 A दसासणहो. 3 P A °उं. 4 Ps °सु. 5A °5. 6 P 8 °णु. 7 PS °भुव. 8 PS किह. 9 PS सव. * The portion from जासु to णामेण पहु ( in 78 4 5 b) is not available from P for collation, because its folios 189-192 are missing.
[२] १ ' पृथिवी.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org