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क०१,१-१२, २,१-४]
जुज्झकण्ड-सत्तसत्तरिमो संधि [१६५ [ ७७. सत्तसत्तरिमो संधि] भाइ'विओएं जिह जिह करइ विहीसणु सोउँ । तिह तिह दुक्खेंण रुवइ स-हरि-वल-वाणर-लोउ ॥
दुम्मणु दुम्मण-वयणर्ड ___अंसु-जलोल्लिय-णयणउँ ।
ढुकु कइद्धय-सत्थउ जहिँ रावणु पेल्हत्थउ ॥१ तेण समाणु विणिग्गय-णाहिँ. दिनु दसाणणु लक्खण-रामेहिँ ॥ २ दिट्ठइँ स-मउड-सिरइँ पलोट्टई ___णाइँ स-केसराइँ कन्दोट्टई ॥ ३ । दिट्ठइँ भालयलइँ पायडियइँ अद्धयन्द-विम्वाइँ व पडियइँ ॥ ४ दिदुइँ मणि-कुण्डलइँ स-तेय. णं खय-रवि-मण्डलइँ अणेय. ॥ ५ ॥ दिवउ भउहउ.मिउडि-काल णं पलयग्गि-सिहउ धूमालउ ॥ ६ दिट्ठई दीह-विसालइ णेत्त मिहुणा इव आमरणासत्तइँ ॥ ७ - मुह-कुहर दट्ठोट्टइँ दिइँ जमकरणाइँ व जेमहाँ अणि?' ॥ ८ दिट्ठ महब्भुव भड-सन्दोहें णं पारोह मुकणग्गोहें ॥९ दिट्ठ उर-स्थलु फाडिउ चक्के • दिण-मज्झु अ(१) मज्झत्थें अकें ॥ १० ॥ अवणियलु व विझेण विहञ्जिउ णं विहिँ भाऍहि तिमिरु व पुञ्जिउ॥११
॥ घत्ता ॥ पेक्वेवि रामेण समरङ्गणे रामण[ हो] मुहाइँ । आलिङ्गेप्पिणु
धीरिउ 'रुवहि विहीसण काई ॥ १२ [२]
20 सो मुउ जो मय-मत्तउ जीव-दया-परिचत्तउ ।
वय-चारित्त-विहूणउ दाण-रणङ्गणे दीणउ ॥१ सरणाइय-वन्दिग्गहें गोग्गहें . सामिहें अवसर मित्त-परिग्गहें ॥२ णिय-परिहवें पर-विहुरे ण जुज्जइ तेहउ पुरिसु विहीसण रुज्जइ ॥ ३ अण्णु इ दुक्किय-कम्म-जणेरउ गरुअउ पाव-भारु जसु केरउ ॥४ 25
1.1 S0.. °विओभए. 2 sc. सोओ. 3 P SC. रुभइ. 4 sc. सह विवइ वाणरलोओ. । 5 PS दुम्मण. 6 A °उं. 7 P°3 8 P S A °हि. 9 P S A °इ. 10 P S °सत्तइ, A रसइं. 11 P 3 जगहो. 12 P S A विहि. 13 A समरंमण,
2. 1 2 °दयए, S °दए.. 2 P corrects इ as वि, s अण्णु इं, A अण्णइं. 3 A उं. 4 A गउआउ. 4 PS A सर्वसहे, T सव्वसह. F१] १. समूहः. २ रणे पतितः. ३ भूमितलं.
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