________________
१४, १-९,१५,१-९
१६४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[१४] णिवडिउ कुम्भयण्णु सहुँ पुत्तेहिँ णं मयलञ्णु सहुँ णक्खत्तेहिँ ॥ १ णं अमराहिउ सहियउ अमरेंहिँ सित्तु जलेण पविजिउ चमरॅहिँ ॥२
उद्विउ दुक्खु दुक्खु दुक्खाउरु सोयहाँ तणउ णाई पढमङ्कुरु ॥३ 5 लग्गु रुएवएँ 'हा हा भायरि हा हा 'हउ हरिणेहिँ व केसरि ॥४ हा विहि तुहु मि हूउ दालिदिउ हा सव्वं ण्हु तुहु मि किह छिदिउ ॥५ हा जम तुहु मि महाहवें घाइउ . हा रयणायर तुहु मि तिसाइउ ॥ ६ हा मरु तुहु मि णिवन्धणु पत्तउ हा रवि तुहु मि किरण-परिचत्तउ ॥७ हा दड्डो ऽसि तुहु मि धूमद्धय . णीसोहग्गु तुहु मि मयरद्धय ॥८
॥घत्ता॥ हा अचलिन्द तुहु मि चलिउ तुहु मि पयावइ भुक्खऍ भग्गउ । पुण्ण-महक्खऍ पेक्खु किह वजमएँ वि खम्भै घुणु लग्गउ' ॥९
[१५] ताव स-वेयणु उहिउ इन्दइ अप्पउ हणइ घिवइ परिणिन्दइ ॥१ 15 "हा हा ताय ताय माणुण्णय सुरचर-समर-सहासहिँ दुजय ॥२ पइँ अत्यन्तऐण अत्थमियइँ वोल्लिय-हसिय-रमिय-परिभमियँइँ ॥ ३ सुत्त-विउद्ध-गमण-आगमण परिहिय-जिमिय-पसाहिय-ण्हवणइँ॥४ वण-कीला-जल-कीला-थाण पुत्तुच्छव-विवाह-वर-पाणइँ ॥ ५ गेय-पंणच्चियाइँ वर-वजइँ परियण-पिण्डवास-सियरज्जइँ॥६ " तोयदवाहणो वि स-कुमारउ मुच्छाविजइ सय-सय-वारउ ॥७ कन्दइ कणइ पवड्डिय-वेयणु , अविरल-वाहाऊरिय-लोयणु ॥८
॥ घत्ता ॥ दुक्खु दसाणण-परियणहों सीयहें दिहि जउ लक्खण-रामहुँ । सुर वि स इं भु व गहुँ चलिय लङ्क पइट कइद्धय-णामहुँ ॥९ .
14. 1 PS A सहु. 2 A °उं. 3 P S A गाइ. 4 P हा हओसि, 5 हा हओ. 5 Ps सव्वळु, A सावळु. 6s दड्ढउ सि.
15. 1 P s °मेण. 2 P A °अइ, s यइ. 3 A °रय. 4 P गेयए, -गेयइ, A गियप. [१४] १ ' हतः. २ हे मेरो. [१५] १ शृंगारितनापितानि.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org