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________________ 5 10 १६२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ पुणु वि पुणे वि गयणङ्गणगोयरि ' णन्दण-वर्णे दिज्जन्ति मणोहरि बुड्डुण-वाविहें थण-परिचड्डणु सैंयण-भवणे णह-नियर - वियारणु पणय - रोस - समए मय- वद्धर्णं सुमरमि दिज्जमाणु दणु-दावणि सुमरमि सामि कुमारहों केरउ सुमरामि सुर-रि-मॅय-मल - सामलु सुमरामि सइँ सुरयारुहण तो इ महारउ वज्जमउ पुणु वि पुणु वि मन्दोरि जम्पइ 15 जइ विणिरारिउ णिद्दऍ भुत्तउ सामिय को अवराहु महारउ तो इ अ-कारणें जे आरुडउ तहिँ अवसरें पर पेक्खवि आलिङ्गेपिणु सव्वाया में 20 का वि वरंसएण कवि हारें कवि उरें ताšवि लीला - कमलें घाइउ 'तुम्हहँ चक्क धार बहुअ तो किं महु पेक्खन्तियहें' 5 [१०] कलुर्णकन्दु करइ मन्दोयरि ॥ १ सुमरमि पारियाय तरु-मञ्जरि ॥ २ सुमरमि' ईसि ईसि अवरुण्डणु ॥ ३ सुमरमि लीला - पङ्कय-ताडणु ॥ ४ सुमुरमि रसणा-दाम- णिबन्धणु ॥ ५ धरणिन्दा केर चूडा मणि ॥ ६ वरहिण- पेहुण-कण्णेरड ॥ ७ हारें ठविजमाणु मुत्ताहलु ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ उर- झङ्कारविलासु ! हियउ ण वे दलु होइ णिरासु' ॥ ९ Jain Education International [ क० १०, १–९, ११, १–९ [११] 'उहें भडारा के त्ति सुप्पइ ॥ १ तो व सोहहि महियलें सुत्तउ ॥ २ सीय दूई गय सय चारउ ॥ ३ जेण परिडिङ 'पाराउड' ॥ ४ का वि करेइ अलीयइ ( ? ) साइउ || ५ का विणिवन्धइ रसणा-दामें ॥ ६ का वि सुअन्ध- कुसुम - पब्भारें ॥ ७ . पभणइ मउलिएण मुह-कमलें ॥ ८ - ॥ घन्ता ॥ जइ वि णिरारिउ पाणहँ रुच्चइ । हियऍ पट्ठी णिविसु ण मुच्चई' ॥ ९ 10. 1 s A °. 2 PS, APS वंधणु, A °वडणु. 4 P°ण्णें, s°ण्णेंदू. 5 s ° कर° 64 रव. 11. 1P दिइ, A दिए. 2PS, A. 3PA अलीअइ. 5 PA°हो, S °हि. [१०]१r वारंवारे २ ईषदीषत् ३ सय शय्या प्रति (?). ४ कुमारकस्य क्रीडा - मयूरपिच्छं. ५ गंधः. [११] १ पराङ्मुखः २ वरवस्त्रे, For Private & Personal Use Only 4Ps धारा. www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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