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१६२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
पुणु वि पुणे वि गयणङ्गणगोयरि ' णन्दण-वर्णे दिज्जन्ति मणोहरि बुड्डुण-वाविहें थण-परिचड्डणु सैंयण-भवणे णह-नियर - वियारणु पणय - रोस - समए मय- वद्धर्णं सुमरमि दिज्जमाणु दणु-दावणि सुमरमि सामि कुमारहों केरउ सुमरामि सुर-रि-मॅय-मल - सामलु
सुमरामि सइँ सुरयारुहण तो इ महारउ वज्जमउ
पुणु वि पुणु वि मन्दोरि जम्पइ 15 जइ विणिरारिउ णिद्दऍ भुत्तउ सामिय को अवराहु महारउ तो इ अ-कारणें जे आरुडउ तहिँ अवसरें पर पेक्खवि आलिङ्गेपिणु सव्वाया में 20 का वि वरंसएण कवि हारें कवि उरें ताšवि लीला - कमलें
घाइउ
'तुम्हहँ चक्क धार बहुअ तो किं महु पेक्खन्तियहें'
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[१०]
कलुर्णकन्दु करइ मन्दोयरि ॥ १ सुमरमि पारियाय तरु-मञ्जरि ॥ २ सुमरमि' ईसि ईसि अवरुण्डणु ॥ ३ सुमरमि लीला - पङ्कय-ताडणु ॥ ४ सुमुरमि रसणा-दाम- णिबन्धणु ॥ ५ धरणिन्दा केर चूडा मणि ॥ ६ वरहिण- पेहुण-कण्णेरड ॥ ७ हारें ठविजमाणु मुत्ताहलु ॥ ८
॥ घत्ता ॥
उर- झङ्कारविलासु ! हियउ ण वे दलु होइ णिरासु' ॥ ९
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[ क० १०, १–९, ११, १–९
[११]
'उहें भडारा के त्ति सुप्पइ ॥ १ तो व सोहहि महियलें सुत्तउ ॥ २
सीय दूई गय सय चारउ ॥ ३ जेण परिडिङ 'पाराउड' ॥ ४ का वि करेइ अलीयइ ( ? ) साइउ || ५ का विणिवन्धइ रसणा-दामें ॥ ६ का वि सुअन्ध- कुसुम - पब्भारें ॥ ७ . पभणइ मउलिएण मुह-कमलें ॥ ८
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॥ घन्ता ॥
जइ वि णिरारिउ पाणहँ रुच्चइ ।
हियऍ पट्ठी णिविसु ण मुच्चई' ॥ ९
10. 1 s A °. 2 PS, APS वंधणु, A °वडणु. 4 P°ण्णें, s°ण्णेंदू.
5 s ° कर° 64 रव.
11. 1P दिइ, A दिए. 2PS, A. 3PA अलीअइ.
5 PA°हो, S °हि.
[१०]१r वारंवारे २ ईषदीषत् ३ सय शय्या प्रति (?). ४ कुमारकस्य क्रीडा - मयूरपिच्छं. ५ गंधः.
[११] १ पराङ्मुखः २ वरवस्त्रे,
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4Ps धारा.
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