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१६०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० ६, १-१०,७,१-९
[६] दिड महाहवु विणिवाइय-भडु आमिस-सोणियरस-वस-वीसडु ॥१ हड्ड-रुण्ड-विच्छड्ड-भयङ्करु लोट्टाविय-धय-चिन्ध-णिरन्तरु ॥२
णच्चिय-उद्ध-कवन्ध-विसन्थुलु वायस-घोर-गिद्ध-सिव-सङ्कल ॥ ३ 5 कहि मि आयवत्तई ससि-धवलइँ णं रण-देवय-अच्चण-कमलई॥४ कहि मि तुरङ्ग वाण-विणिभिण्णा रण-देवयहें णाई वलि दिण्णा ॥ ५ कहि मि सरेहिँ धरिय णहें कुञ्जर जल-धारा-ऊरिय जलहर ॥ ६ कहि मि रहङ्ग-भग्ग थिय रहवर णं वजासणि-सूडिय महिहर ॥ ७
तहिँ दहवयणु दिट्ट वहु-वाहउ . कप्प-तरु व्व पलोट्टिय-साहउ ॥८ 10 रज-गयालण-खर व छिण्णउ लक्खण-चक्क रयण-विणिभिण्णउ ॥ ९
॥ घत्ता
॥
दह दियहाइँ स-रत्तिय जं जुज्झन्तु णिहएँ भुत्तउ । तेण चक्क सेजहिँ चडेवि रण-वहुअएँ समाणु णं सुत्तउ ॥ १०
[७] 15 दिव पुणो वि णाहु पिय-णारिहिँ सुत्तु मत्त-हत्थि व गणियारिहिँ ॥ १ 'वाहिणिहिँ व सुक्कउ रयणायरु कमलिणिहिँ व अत्थवण-दिवायरु ॥२ कुमुइणिहि व्व जरढ-मयलञ्छणु विजुहि व्व छुडु छुडु वरिसिय-घणु ॥ ३ अमर-बहूहिँ व चवण-पुरन्दर गिम्भ-दिसाहिँ व अञ्जण-महिहरु ॥ ४ भमरावलिहि म्व सूडिय-तरुवरु कलहंसीहि म्व अ-जलु महा-सरु ॥ ५ 20 'कलयण्ठीहि म्व माहव-णिग्गमु णाइणिहिँ व हय-गरुड-भुयङ्गम् ॥ ६ 'वहुल-पओसु व तारा-पन्तिहिँ तेम दसास-पासु ढुक्कन्तिहिँ ॥ ७ दस-सिरु दस-सेहरु दस-मउडउ गिरि व स-कन्दरु स-तरु से-कूडउ ॥ ८
॥घत्ता॥ णिऍवि अवत्थ दसाणणहाँ 'हा हा सामि' भणन्तु स-वेयणु । . 25 अन्तेउरु मुच्छा-विहलु
णिवडिउ महिहिँ झत्ति णिच्चेयणु ॥९ 6. 1 Ps कंड. 2 P °ल, s °ला. 3 PS °थोर. 4 P S A °इ. 5 A °उं. 6 A °चकें सो विणि.7 P जुज्झंतए णि.
7. 1 P S A °हि. 2 P S A व. 3 P S म, A व. 4 PS विहंगमु. 5 A उं.
[६] १ राज्यगजस्यालानस्तम्भः
[७] १ नदीभिः. २ कोकिलाभिः वसन्तनिर्गमः. ३ गरुडेन हतं. ४ कृष्णपक्ष इव. ५ ' सशिखरः. ६T शीघ्रं.
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